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भारत के बाहर बीआर आंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा का अमेरिका में अनावरण

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वॉशिंगटन, 15 अक्टूबर। भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार डॉ. बी आर आंबेडकर की भारत के बाहर सबसे बड़ी प्रतिमा का यहां अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन के मैरीलैंड उपनगर में औपचारिक रूप से अनावरण किया गया।

भारत एवं अन्य देशों से पहुंचे लोगों और अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से आए 500 से अधिक भारतीय-अमेरिकियों की मौजूदगी में ‘जय भीम’ के नारों के बीच 19 फुट ऊंचे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (समानता की प्रतिमा) का अनावरण किया गया।

भारी बारिश और बूंदाबादी के बावजूद लोगों ने पूरे उत्साह एवं ऊर्जा के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यह प्रतिमा प्रसिद्ध कलाकार और मूर्तिकार राम सुतार ने बनाई है। सुतार ने ही सरदार पटेल की प्रतिमा भी बनाई थी, जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ कहा जाता है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को गुजरात में सरदार सरोवर बांध के नीचे की ओर नर्मदा में एक द्वीप पर स्थापित किया गया है।

‘आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर’ (एआईसी) के अध्यक्ष राम कुमार ने समारोह के बाद मीडिया से कहा, ‘‘हमने इसे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ नाम दिया है … यह (असमानता की) समस्या केवल भारत में ही नहीं है, यह हर जगह (अलग-अलग रूपों में) मौजूद है।’’ 14 अप्रैल, 1891 को जन्मे डॉ. भीम राव आंबेडकर संविधान सभा की सबसे महत्वपूर्ण मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। ह्वाइट हाउस से लगभग 22 मील दक्षिण में एकोकीक टाउनशिप में स्थित 13 एकड़ में फैले एआईसी में एक पुस्तकालय, सम्मेलन केंद्र और बुद्ध गार्डन भी होगा।

‘दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि कुमार नर्रा ने कहा, ‘‘यह अमेरिका में बाबासाहेब की सबसे ऊंची प्रतिमा है। …लोग डॉ. आंबेडकर द्वारा किए गए कार्यों को आजादी के 75 वर्ष बाद समझ रहे हैं और यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है… लोग अब उन्हें सही तरीके से समझने लगे हैं।’’

इस समारोह में भाग लेने के लिए भारत से आए नर्रा ने कहा, ‘‘पहले उन्हें एक दलित नेता समझा जाता था, लेकिन अब पूरा देश महिलाओं को सशक्त बनाने और हाशिये पर पड़े समाज के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए उनके योगदान को भी मान्यता दे रहा है।’’ आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म अपनाया था। इसके कुछ ही महीनों बाद छह दिसंबर को उनका निधन हो गया था। मैरीलैंड में 14 अक्टूबर को ही प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिसे धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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