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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर स्वामी रामदेव बोले – ‘यदि हम झूठे हैं तो मौत की सजा के लिए भी तैयार’

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नई दिल्ली, 22 नवम्बर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पतंजलि आयुर्वेद को उसकी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में ‘झूठे’ दावे करने के खिलाफ सख्त हिदायत देने के एक दिन बाद योग गुरु बाबा रामदेव ने बुधवार को अपनी कम्पनी का बचाव किया और आरोप लगाया कि एलोपैथ से जुड़े कुछ लोग आयुर्वेद के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं।

गौरतलब है कि मंगलवार को शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे प्रकाशित न करे। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी चेतावनी दी है कि यदि यह गलत दावा किया जाता है कि कोई उत्पाद किसी विशेष बीमारी को ठीक कर सकता है तो पीठ प्रत्येक उत्पाद पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है।

‘पिछले 5 वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद स्वामी रामदेव ने हरिद्वार में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आप गलत प्रचार करते हैं तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन हम कोई गलत प्रचार नहीं कर रहे हैं। कुछ डॉक्टरों ने एक ग्रुप बनाया है, जो लगातार योग, आयुर्वेद आदि के खिलाफ प्रचार करते हैं। अगर हम झूठे हैं तो हम पर 1000 करोड़ का जुर्माना लगाएं और हम मौत की सजा के लिए भी तैयार हैं। लेकिन अगर हम झूठे नहीं हैं तो उन लोगों को सज़ा दें, जो सच में झूठा प्रचार कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है।’

‘पैसा सच और झूठ का फैसला नहीं कर सकता

अपने पक्ष का बचाव करते हुए बाबा रामदेव ने कहा, ‘पैसा सच और झूठ का फैसला नहीं कर सकता। उनके (एलोपैथी) पास अधिक अस्पताल, डॉक्टर हो सकते हैं और उनकी आवाज अधिक सुनी जा सकती है, लेकिन हमारे पास संतों के ज्ञान की विरासत है, हम दरिद्र नहीं हैं, गरीब नहीं हैं।’

गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्र की बेंच ने मौखिक रूप से ये टिप्पणियां की थीं। शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त, 2022 को टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव द्वारा बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाने वाली आईएमए की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी की थी।

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