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स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद से दिया इस्तीफा, अखिलेश को लिखी ‘भावुक’ चिट्ठी

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लखनऊ, 13 फरवरी। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को लिखी एक भावुक चिट्ठी में यह भी कहा है कि वह पार्टी में कार्यकर्ता के तौर पर काम करते रहेंगे।

अपने बयानों पर पार्टी के रुख को लेकर जताई नाराजगी

दरअसल, भाजपा छोड़ सपा में शामिल होने के साथ ही अपने विवादित बयानों की वजह से लगातार सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद ने चिट्ठी में अपने बयानों पर पार्टी के रुख को लेकर नाराजगी भी जताई है। हालांकि उनके बयानों से सपा और अखिलेश यादव भी कई बार असहज हुए हैं। रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से देशव्यापी विवाद हुआ था। सपा के भीतर भी पार्टी के कई नेताओं ने अखिलेश से स्वामी पर एक्शन लेने की अपील की थी।

‘यदि पार्टी का जनाधार बढ़ा है तो मेरे बयान निजी कैसे हो सकते हैं?’

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने विवादित बयानों के लिए पार्टी की ओर से निजी बताए जाने पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि इसकी वजह से यदि पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है तो ये बयान निजी कैसे हो सकते हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में महासचिव पद के अलग-अलग लोगों के बयानों के साथ भेदभाव किया जाता है। इसी क्रम में उन्होंने अखिलेश से कई तरह की शिकायतें भी की हैं।

मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव के सामने जातिवार जनगणना कराने, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ो के आरक्षण को बचाने, बेरोजगारी और बढ़ी हुई महंगाई, किसानों की समस्याओं और लाभकारी मूल्य दिलाने, लोकतंत्र तथा संविधान को बचाने, देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथ में बेचे जाने के विरोध में प्रदेशव्यापी भ्रमण कार्यक्रम के लिए रथ यात्रा निकालने का प्रस्ताव रखा था। इस पर उन्होंने सहमति भी दी थी और कहा था कि होली के बाद इस यात्रा को निकाला जाएगा। आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। उन्होंने कहा कि नेतृत्व की मंशा के अनुरूप मैंने पुनः उनसे इस बारे में कहना उचित नहीं समझा।

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