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सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी का हमला – दिल्ली सेवा बिल के कानून बनने के बाद और झगड़ालू व निकम्मी हो गई है ‘आप’ सरकार

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नई दिल्ली, 13 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक-2023 को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) पर तीखा हमला बोला है।

राजनीति में तेजी से अपनी पैठ बना रही भाजपा नेता बांसुरी स्वराज ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार पर बेहद तंज भरे लहजे में निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली सेवा विधेयक के कानून बनने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार और भी झगड़ालू और निकम्मी हो गई है।

दिल्ली भाजपा के दफ्तर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बांसुरी स्वराज ने कहा, “AAP सरकार ने अभी से नहीं बल्कि 2015 से अपनी अक्षमता का बहाना बनाया है क्योंकि वो एक ‘झगड़लू’ और ‘निकम्मी’ सरकार है।” इन आरोपों के साथ उन्होंने दिल्ली (संशोधन) विधेयक-2023 के पास होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी बधाई दी और कहा कि इस बिल के पास होने के बाद अब दिल्ली का प्रशासन कानून के मुताबिक काम करेगा।

बांसुरी ने कहा, ‘मैं दिल्ली सेवा विधेयक 2023 को पारित करने के लिए द्रौपदी मुर्मू को बधाई देती हूं। अब जब यह विधेयक पारित हो गया है और कानून की शक्ल ले चुका है तो आगे से दिल्ली में प्रशासन उसी कानून के हिसाब से चलेगा।’

गौरतलब है कि गत सात अगस्त को संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक-2023 पारित किया गया था। यह विधेयक दिल्ली सरकार में अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग को संभालने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश की जगह लेता है।

राज्यसभा में सोमवार को पारित हुए इस विधेयक से दिल्ली के उप राज्यपाल को नियुक्तियों, तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित मामलों सहित दिल्ली में समूह ए सेवाओं को नियंत्रित करने की शक्ति मिलती है। राज्यसभा में इस विधेयक को मतविभाजन के बाद पारित किया गया, जिसमें 131 सांसदों ने कानून के पक्ष में और 102 ने इसके खिलाफ मतदान किया।

राज्यसभा में विधेयक का बचाव करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में प्रभावी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रदान करना है। गृह मंत्री के अलावा राज्यसभा में विधेयक पर बहस के दौरान राज्यसभा सांसद और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि विधायिका पूरी तरह से वैध है और यदि कोई सदस्य असहमत है, तो उसे अंतरात्मा की स्वतंत्रता पर छोड़ दिया जाना चाहिए। यह विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

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