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बिहार में छुट्टियां रद्द होने पर बोले सुशील मोदी – यह राज्य सरकार की हिन्दू-विरोधी मानसिकता का परिणाम

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पटना, 31 अगस्त। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम व भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को कहा कि सरकारी स्कूलों में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, ज्यूतिया जैसे प्रमुख हिन्दू पर्व-त्योहारों पर छुट्टी रद करना और नवरात्रि, दीपावली से छठ तक की छुट्टी में कटौती करना राज्य सरकार की हिन्दू-विरोधी मानसिकता का परिणाम है।

‘इस फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए’

सुशील मोदी ने बयान जारी कर कहा कि शिक्षा विभाग के अवर मुख्य सचिव ने एक और मनमाने फैसले से बिहार की छवि और संस्कृति पर आघात किया है। उन्होंने कहा कि जब चेहल्लुम और मोहम्मद साहब के जन्मदिन की छुट्टी बरकरार रखी गई और यह रहनी भी चाहिए, तब भगवान कृष्ण की जयंती (जन्माष्टमी), गुरु नानक जयंती (कार्तिक पूर्णिमा) और बिहार केसरी श्रीबाबू की जयंती पर छुट्टी समाप्त क्यों गई।

मोदी ने कहा कि सरकार को स्कूली बच्चों के मन पर विपरीत प्रभाव डालने वाले और सांस्कृतिक सछ्वाव बिगाड़ने वाले फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए। भाजपा सांसद ने कहा कि बिहार की पहचान जिस लोकपर्व छठ से होती है, उसकी छुट्टी भी काट दी गई। दीपावली से छठ पूजा के बीच नौ दिन की छुट्टी को घटाकर चार दिन कर दिया गया। यह बहुत ही आपत्तिजनक है। यह स्वीकार्य नहीं है।

मोदी ने कहा कि जिस शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 220 दिन की पढाई सुनिश्चित करने का तर्क देकर केवल हिंदू-सिख त्योहारों पर चोट की गई उसी कानून की धारा-27 (ई) शिक्षकों को शिक्षणेतर कार्यों में लगाने से रोकती है, ताकि पढ़ाई बाधित नहीं हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस कानून का उल्लंघन कर शिक्षकों को जातीय सर्वे, मिड डे मील, मतदाता सूची पुनरीक्षण आदि में लगाकर पढाई के कई महीने बर्बाद किए। इसका जिम्मेदार कौन है?

‘टीचर से नॉन-टीचिंग काम कराने से पढ़ाई बाधित हो रही’

भाजपा सांसद ने कहा कि टीचर से नॉन-टीचिंग काम कराने से पढ़ाई बाधित हो रही है न कि पर्व-त्योहार की छुट्टियों के कारण और अगर ऐसे अवसरों पर स्कूल खुलेंगे भी तो कौन बच्चा स्कूल जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा विभाग से वर्तमान अवर मुख्य सचिव हटाए नहीं जाएंगे, तब तक इसी प्रकार बिहार की किरकिरी होती रहेगी।