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सूर्यकुमार ने मुख्य कोच राहुल द्रविड़ से कहा – ‘शीर्ष स्तर पर सफलता की मेरी भूख और बढ़ गई है’

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राजकोट, 8 जनवरी। भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव का कहना है कि राष्ट्रीय टीम में देर से चयन ने उनका संकल्प और मजबूत कर दिया है। साथ ही शीर्ष स्तर पर सफलता की उनकी भूख बढ़ा दी है। सूर्या ने ये बातें किसी और से नहीं वरन टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ से कहीं। शनिवार की रात यहां सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ तीसरे व अंतिम टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में सूर्या के विद्युतीय शतकीय प्रहार के बीच भारत की 91 रनों से शानदार जीत के बाद बीसीसीआई टीवी ने इस मैदानी बातचीत का आयोजन किया था।

वस्तुतः सूर्यकुमार यादव जब भारत के लिए पदार्पण कर रहे थे, तब उनकी उम्र 30 वर्ष से ज्यादा थी। लेकिन टीम में शामिल किए जाने के बाद से इस तेजतर्रार मुंबइया बल्लेबाज ने हालिया महीनों में कई धमाकेदार पारियां खेलते हुए अपनी धाक जमा दी है। शनिवार को भी ऐसी ही अविश्वसनीय पारी दिखी, जब उन्होंने 51 गेंदों पर ही नौ छक्कों व सात चौकों की मदद से 112 रन ठोक दिए और भारत ने प्रभावशाली जीत के सहारे सीरीज 2-1 से अपने नाम की।

सूर्यकुमार ने मैदानी इंटरव्यू में राहुल द्रविड़ से कहा, ‘इससे मेरी (रनों की) भूख अब और बढ़ गई है। मेरा मतलब है कि मैंने जितनी घरेलू क्रिकेट खेली है, मैंने हमेशा अपने राज्य मुंबई के लिए खेलने का लुत्फ उठाया है और मैंने हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास किया है।’

इस खेल के प्रति जुनून ने मुझे आगे बढ़ाया

दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘यहां भी बल्लेबाजी का आनंद लिया। हां, पिछले कुछ वर्षों में यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण था,  लेकिन मैं खुद से कहता रहा कि तुम इस खेल को क्यों खेलते हो, इसका आनंद लो, इस खेल के प्रति जुनून ने मुझे आगे बढ़ाया, इसलिए मैं आगे बढ़ता रहा।’

द्रविड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा, ‘यह अच्छा है कि यहां मेरे साथ कोई है, जिसने बचपन में मुझे बल्लेबाजी करते हुए नहीं देखा।’ इस पर सूर्यकमार ने जवाब दिया, ‘नहीं, मैंने देखा (आपको बल्लेबाजी करते हुए) है।’ दरअसल, जिस तरह से द्रविड़ ने अपनी क्रिकेट खेली, सूर्यकुमार की बल्लेबाजी उसके बिलकुल विपरीत है और भारत के पूर्व कप्तान भी उसी ओर इशारा कर रहे थे।

मैंने पिछले एक साल में जो कुछ भी किया, सिर्फ अपने खेल का आनंद लिया

द्रविड़ ने फिर पूछा कि क्या वह एक या दो पारियां चुन सकते हैं, जो उन्हें लगता है कि उनकी सर्वश्रेष्ठ हैं। सूर्यकुमार ने कहा, ‘वास्तव में मेरे लिए किसी एक पारी को चुनना मुश्किल है। मैंने उन सभी कठिन परिस्थितियों में बल्लेबाजी का आनंद लिया, जहां मैं बल्लेबाजी करने गया था। मैंने पिछले एक साल में जो कुछ भी किया, वहां मैंने सिर्फ अपने खेल का आनंद लिया। मैं फिर वही काम कर रहा हूं।’

मैं मैच में टीम को बनाए रखने की कोशिश करता हूं

सूर्या ने कहा, ‘जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, मैं जितना संभव हो, आनंद लेने और खुद को जाहिर करने की कोशिश करता हूं। उन कठिन परिस्थितियों में टीम मैच जीतने की कोशिश करती हैं। मैं मैच में टीम को बनाए रखने की कोशिश करता हूं। अगर यह मेरे और टीम के लिए अच्छा काम करता है तो मैं खूश हूं।’

परिवार और द्रविड़ को दिया अपनी हालिया सफलता का श्रेय

सूर्यकुमार ने हाल के दिनों में अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को और द्रविड़ को भी दिया। वस्तुतः यह बल्लेबाज जब भारत ए स्तर पर अपनी जगह पक्की कर रहा था, तब द्रविड़ उस टीम के प्रभारी थे। उन्होंने कहा, ‘अब तक की मेरी क्रिकेट यात्रा में परिवार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो वे ही थे, जिन्होंने मेरी मदद की। मेरे पिताजी एक इंजीनियर हैं, इसलिए मेरे परिवार में खेल का कोई इतिहास नहीं है। मुझे थोड़ा अलग होना पड़ा, जिससे कि उन्हें मेरे अंदर चिंगारी दिखे और वह मेरा साथ दें। उन्होंने और जाहिर तौर पर मेरी पत्नी ने काफी त्याग किया है। हमारी शादी के बाद से वह पोषण और फिट रहने के मामले में मेरे ऊपर काफी जोर दे रही है।’

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