पटना, 27 नवंबर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी के प्रभाव को जानने के लिए एक ताजा सर्वेक्षण का आह्वान किया। उनकी सरकार ने सात साल से अधिक समय पहले राज्य में शराबबंदी लागू की थी। नीतीश कुमार ने नशामुक्ति दिवस के अवसर पर आयोजित एक सरकारी समारोह में अपने शुरुआती अनुभवों को याद किया जिसके कारण उन्हें शराब से नफरत हो गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्थान पर मैंने अपना बचपन बिताया था, वह इस बुराई से मुक्त था। जब मैं इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए पटना आया और किराए के जिस मकान में मैं रहता था, वहां पड़ोस में कुछ लोग शराब पीते थे और उपद्रव करते थे।”
उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू कर्पूरी ठाकुर के शासन में राज्य में शराबबंदी की अल्पकालिक कोशिश का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लेकिन सरकार दो साल से अधिक नहीं चली और उसके बाद के शासन द्वारा शराब पर प्रतिबंध हटा दिया गया। कई बड़े लोगों के कड़े विरोध के बावजूद, हमने अप्रैल, 2016 में कदम उठाया। 2018 में किए गए एक सर्वेक्षण में इसका सकारात्मक परिणाम दिखा।”
- “एक बार फिर कीजिए शराबबंदी का सर्वे”
नीतीश कुमार ने अधिकारियों से कहा कि आपलोग ठीक ढंग से एक बार फिर से शराबबंदी का सर्वे कीजिए। हम तो कहेंगे एक-एक घर में जाकर पता कीजिए कि शराबबंदी का क्या प्रभाव है। सर्वे से ये पता चल जाएगा कि कौन-कौन लोग इसके पक्ष में हैं और कौन-कौन इसके खिलाफ। इससे पता चलेगा कि कितने लोग इसके पक्ष में हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है लेकिन वहां इस पर अच्छे से काम नहीं होता है। नीतीश ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी शराब पीने से होने वाले दुष्परिणामों को लेकर सर्वे किया था और उसका रिपोर्ट जारी किया था। उनका कहना था कि शराब पीने से कई प्रकार की बीमारियां होती हैं और 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना शराब पीने के कारण होती है।