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गुजरात : सूरत के उद्योगपति पीयूषभाई ने राज्य के 7500 किसानों को 7500 रुपये देने की घोषणा की

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अहमदाबाद, 9 नवम्बर। सूरत के एक उद्योगपति और समाजसेवी पीयूषभाई भूराभाई देसाई ने राज्य में बेमौसम बारिश से पीड़ित किसानों के लिए सहायता की घोषणा की है। दरअसल, सूरत में ‘हीराबा नो खामकर’ अभियान के तहत छात्राओं को शैक्षिक सहायता प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जहां पीयूषभाई ने किसानों को सहायता देने की घोषणा की।

इस प्रकार सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर शुरू किया गया उनका ‘हीराबा नो खामकर’ अभियान न केवल बेटियों को सशक्त बना रहा है, बल्कि बेमौसम बारिश से पीड़ित किसानों के लिए आशा की किरण भी बन गया है। उन्होंने 7500 किसानों में प्रत्येक को सहायता के तौर पर 7500 रुपये प्रदान करने की घोषणा की।

खामकरअभियान : 1102 बेटियों को शैक्षिक सहायता

‘हीराबा नो खामकर’ अभियान की बात करें तो इसके तहत रविवार को 551 और बेटियों को शैक्षिक सहायता प्रदान की गई। प्रत्येक बेटी को 7500 रुपये की शैक्षिक सहायता दी गई। पहले 551 बेटियों को सहायता प्रदान करने के बाद अब लाभार्थियों की कुल संख्या 1102 हो गई है। अब तक इस अभियान के माध्यम से कुल 41,32,500 रुपये वितरित किए जा चुके हैं।

21,000 बेटियों को 157.50 करोड़ रुपये की शिक्षा सहायता प्रदान करने का लक्ष्य

पीयूषभाई देसाई ने अपना संकल्प दोहराते हुए कहा, ‘बेटी को शिक्षा देना राष्ट्र के भविष्य को मजबूत बनाने का सर्वोत्तम तरीका है। हमारा लक्ष्य कुल 21,000 बेटियों को शिक्षा सहायता प्रदान करना और इसके लिए 157.50 करोड़ रुपये की सहायता वितरित करना है।’

7500 किसानों को 7500 रुपये की सीधी सहायता

बेटियों की शिक्षा के साथ-साथ पीयूषभाई ने हाल ही में हुई बेमौसम बारिश के कारण किसानों को हुए नुकसान के प्रति भी उदारता दिखाई है। उन्होंने घोषणा की कि वे 7,500 गनोट (पट्टाधारक) किसानों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए प्रति किसान 7,500 रुपये प्रदान करेंगे।

कृषि से जुड़ी उनकी जड़ें और समाजसेवा की भावना ही इस निर्णय का कारण है। कार्यक्रम में उपस्थित उद्योग जगत के गणमान्य व्यक्तियों और समाजसेवियों ने पीयूषभाई की इस दोहरी पहल की सराहना की और उन्हें समाज का सच्चा प्रेरणास्रोत बताया।

उल्लेखनीय है कि मूल रूप से बनासकांठा के नानोता गांव के निवासी पीयूषभाई देसाई वर्तमान में सूरत में कपड़ा, भवन निर्माण और वित्त क्षेत्र में सफल व्यवसाय कर रहे हैं, लेकिन उनके अनुसार, ‘हीराबा नो खामकर’ अभियान उनकी जीवन यात्रा का सबसे संतोषजनक कार्य है।

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