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सुप्रीम कोर्ट को मिलेंगे दो नए न्यायाधीश, अब 34 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद के साथ कार्य करेगी शीर्ष अदालत

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नई दिल्ली, 27 अगस्त। केंद्र ने बुधवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की उस सिफारिश को मंजूरी दे दी, जिसमें बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी।

न्यायमूर्तिद्वय आलोक अराधे व विपुल मनुभाई पंचोली की पदोन्नति

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा – ‘भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद न्यायमूर्ति आलोक अराधे, मुख्य न्यायाधीश, बॉम्बे उच्च न्यायालय और न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली, मुख्य न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते है।’

सीजेआई की अध्यक्षता वाले पांच न्यायाधीशों के कॉलेजियम में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने सोमवार को हुई बैठक के बाद अपना प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था। केंद्र ने अपने फैसले पर तेजी से अमल करते हुए सिर्फ दो दिनों के भीतर उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की पदोन्नति की अधिसूचना जारी कर दी।

जस्टिस नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की पदोन्नति पर असहमति जताई

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने सोमवार को न्यायमूर्ति पंचोली की पदोन्नति पर कॉलेजियम की सिफारिश से असहमति जताई थी। कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति पंचोली के पक्ष में 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अपने असहमति नोट में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में न्यायमूर्ति पंचोली की 57वीं रैंक का हवाला दिया था।

कथित तौर पर असहमति नोट में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी उठाया गया था, जो न्यायमूर्ति पंचोली के लिए अनुशंसित पदोन्नति के विरोध का आधार था। न्यायमूर्ति नागरत्ना के नोट में न्यायमूर्ति पंचोली के गुजरात उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरण की परिस्थितियों का भी उल्लेख किया गया है। घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र के अनुसार, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, न्यायमूर्ति पंचोली की नियुक्ति न केवल न्याय प्रशासन के लिए प्रतिकूल होगी बल्कि कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता को भी दांव पर लगा देगी।

दो जज पहले ही गुजरात उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व कर रहे

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने यह भी बताया कि गुजरात उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (जो मई 2028 और अगस्त 2030 के बीच मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं) और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि उसी उच्च न्यायालय से एक और न्यायाधीश होने से संतुलन बिगड़ जाएगा। उन्होंने बताया कि कई उच्च न्यायालयों का सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं है या कम प्रतिनिधित्व है। न्यायमूर्ति पंचोली मई, 2031 में न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के सेवानिवृत्त होने के बाद 16 महीने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। केंद्र द्वारा इन दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी मिलने के बाद, सुप्रीम कोर्ट 34 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद के साथ कार्य करेगा।

न्यायमूर्ति अराधे वर्तमान में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

न्यायमूर्ति अराधे वर्तमान में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। उनका जन्म 13 अप्रैल, 1964 को रायपुर में हुआ था। वे तेलंगाना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है। उन्हें 29 दिसम्बर, 2009 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

न्यायमूर्ति पंचोली पिछले दो वर्ष से पटना एचसी में मुख्य न्यायाधीश 

वहीं न्यायमूर्ति पंचोली का जन्म 28 मई, 1968 को अहमदाबाद में हुआ था। यदि उन्हें नियुक्त किया जाता है तो वह 27 मई, 2033 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होंगे। जुलाई, 2023 में उनका तबादला पटना उच्च न्यायालय में हुआ, जहां उन्होंने न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। जुलाई, 2025 में उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने सितम्बर,1991 में एक वकील के रूप में नामांकन कराया और गुजरात उच्च न्यायालय में अपनी प्रैक्टिस शुरू की।

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