नई दिल्ली, 4 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव को लेकर एलजी वीके सक्सेना के फैसले पर कड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने जल्दबाजी में लिए गए फैसले पर सवाल उठाते हुए एक एलजी को चेतावनी भी दी और कहा है कि यदि वह इस तरह एमसीडी एक्ट के तहत कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे तो इससे लोकतंत्र खतरे में पड़े जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने एलजी को चेतावनी देते हुए यह भी कहा, ‘यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव आयोजित कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे।’
गौरतलब है कि मेयर और आम आदमी पार्टी की नेता शैली ओबेरॉय ने एलजी वीके सक्सेना के आदेश पर कराए गए एमसीडी की स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एलजी ऑफिस से जवाब मांगा है।
गत 27 सितम्बर को हुए चुनाव में भाजपा ने निर्विरोध जीत हासिल की थी क्योंकि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के पार्षदों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। इससे पहले शैली ओबेरॉय ने चुनाव के लिए पांच अक्टूबर की तारीख तय की थी, लेकिन एलजी वीके सक्सेना के आदेश पर चुनाव 27 सितम्बर दोपहर एक बजे ही करा दिए गए।
एससी ने कहा – एलजी के फैसले की वजह से जारी करनी पड़ी नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शुरुआत में वह इस याचिका पर विचार करना नहीं चाहता था, लेकिन उपराज्यपाल वीके सक्सेना के फैसले के कारण उन्हें नोटिस जारी करनी पड़ी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने एलजी कार्यालय से कहा कि वह 27 सितम्बर को होने वाले स्थायी समिति चुनावों के खिलाफ मेयर शेली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न कराएं। अगर ऐसा होता है तो कोर्ट इसे गंभीरता से लेगी।