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सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता कांड का लिया स्वत: संज्ञान, महिला डॉक्टर के रेप व हत्या मामले की मंगलवार को होगी सुनवाई

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नई दिल्ली, 18 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बीते दिनों प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के रेप व हत्या मामले स्वतः संज्ञान लिया है। अब मंगलवार, 20 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी, पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। हालांकि मंगलवार को सुनवाई के लिए तय मुकदमों की सूची में यह मामला 66वें नंबर पर है, लेकिन उसमें विशेष उल्लेख है कि पीठ इसे प्राथमिकता पर सुनेगी।

गौरतलब है कि शनिवार, 17 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आक्रोश और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की 24 घंटे की घोषित हड़ताल के बीच सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी मुद्दे पर एक याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस को प्रेषित इस पत्र याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गत नौ अगस्त को कोलकाता में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार व हत्या की भयावह और शर्मनाक घटना का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया था।

सिकंदराबाद की बीडीएस डॉ. मोनिका सिंह ने दाखिल की है याचिका

याचिकाकर्ता आर्मी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज, सिकंदराबाद की बीडीएस डॉ. मोनिका सिंह के वकील सत्यम सिंह ने अदालत से अनुरोध किया था कि 14 अगस्त को असामाजिक तत्वों द्वारा आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर किए गए हमले की भी निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए। याचिका में मामले के लंबित रहने तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देने की गुहार भी लगाई गई थी। इसमें तर्क दिया गया था कि हमले और अपराध स्थल पर हुई बर्बरता को रोकने में स्थानीय कानून और प्रवर्तन एजेंसियों की विफलता को देखते हुए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है।

याची ने अपने पत्र में चिकित्सा पेशेवरों पर क्रूर हमलों की चिंताजनक घटनाओं की लगातार बढ़ती घटनाओं का हवाला दिया है। खास तौर पर कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में हुई हाल की घटना का जिक्र है। उसमें एक पीजी प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।

पत्र में कहा गया है कि चिकित्सा पेशेवरों पर क्रूर हमलों से जुड़ी हाल की घटनाएं निजी त्रासदी के साथ ही उन लोगों के सामने आने वाले गंभीर जोखिमों की भी भयावह याद दिलाती हैं, जो जीवन बचाने के लिए अथक परिश्रम करते हैं। इससे ऐसे महत्वपूर्ण व्यवसायों में व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए चिंता और बढ़ जाती है।

इसमें कहा गया है कि भारत में डॉक्टर जीवन बचाने और समाज की सेवा करने के लिए 10 से 11 साल तक कठोर शिक्षा और प्रशिक्षण, जिसमें मेडिकल स्कूल और रेजीडेंसी भी शामिल है, समर्पित करते हैं। उनकी प्रतिबद्धता में कई सालों तक बिना सोए रहना, गहन अध्ययन और व्यावहारिक अनुभव शामिल है। हमलों से अस्पताल का संचालन बुरी तरह बाधित हुआ है। चिकित्सा कर्मियों में भय भर गया है। कॉलेज और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती जरूरी है।