नई दिल्ली, 8 अप्रैल। उच्चतम न्यायालय ने देश में अनियमित लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने वाले ‘इंटरसेक्स’ बच्चों के हितों की रक्षा करने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) और अन्य से जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता, मदुरै निवासी गोपी शंकर एम के वकील की दलीलों पर गौर किया कि ऐसे ‘इंटरसेक्स’ व्यक्तियों को निर्धारित आयु होने पर मतदाता के रूप में मान्यता भी नहीं दी जाती है।
पीठ ने कहा, ”नोटिस जारी करें” और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से जनहित याचिका की सुनवाई में उसकी सहायता करने को कहा। वकील ने यह भी कहा कि ऐसी लिंग परिवर्तन सर्जरी के लिए चिकित्सा हस्तक्षेप अन्य क्षेत्राधिकारों में दंडनीय अपराध है।
जनहित याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कानून और न्याय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में रजिस्ट्रार जनरल, भारत के जनगणना आयुक्त और सीएआरए को भी पक्षकार बनाया गया है।