नई दिल्ली, 9 जून। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई है। दरअसल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने फरवरी, 2023 में ओला-उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर कम्पनियों की बाइक सेवा पर रोक लगा दी थी।
सरकार के फैसले के खिलाफ कम्पनियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। अदालत ने सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए इन कम्पनियों को राहत दे दी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि याचिकाओं की प्रति सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दी जाए।
पीठ ने कहा, ”दोनों याचिकाओं की प्रति सॉलिसिटर जनरल को दी जानी चाहिए, ताकि भारत सरकार के विचारों को संज्ञान में लिया जा सके। मामले को सोमवार को सूचीबद्ध कीजिए।” दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने कहा कि अंतिम नीति अधिसूचित होने तक उसकी नोटिस पर रोक लगाने का उच्च न्यायालय का फैसला रैपिडो की रिट याचिका को स्वीकार करने जैसा है।
उच्च न्यायालय ने 26 मई को रैपिडो की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अंतिम नीति तक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर के खिलाफ कोई कठोर काररवाई नहीं की जाएगी। रैपिडो का परिचालन करने वाली वाली रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली सरकार का आदेश बिना किसी औचित्य के पारित किया गया।