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सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को लगाई लताड़, नियमों के विपरीत भ्रामक व झूठे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को लगाई लताड़, नियमों के विपरीत भ्रामक व झूठे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का दिया आदेश

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नई दिल्ली, 27 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव के सह-स्वामित्व वाली आयुर्वेद फर्म पतंजलि आयुर्वेद को उसके उत्पादों के भ्रामक व झूठे विज्ञापनों के लिए लताड़ लगाई है और ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को गलत एड के लिए मानहानि की नोटिस भी जारी कर दी है।

उल्लेखनीय है कि भारत में लोकप्रिय आयुर्वेद ब्रांड द्वारा भ्रामक और झूठे विज्ञापन देने का आरोप लगे हैं। इसी क्रम में साक्ष्य-आधारित दवा को बदनाम करने के लिए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ काररवाई की मांग करने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

शीर्ष अदालत ने पिछले निर्देशों के विपरीत पारंपरिक रसायन-आधारित दवाओं पर पतंजलि के दावों के पीछे के तर्क पर सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि को लताड़ लगाते हुए कहा कि पूरे देश को दो वर्षों तक भ्रम में रखा गया। पीठ ने कम्पनी को अपनी दवाओं के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया।

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने समाचारपत्रों में प्रकाशित पतंजलि के विज्ञापन को बताया कि यह पूरी तरह से निराश करने वाला है। उन्होंने पूछा कि कोर्ट के मना करने के बाद भी आप ने इस तरह से लोगों को भ्रमित किया, उन्होंने कोर्ट में आंखें तरेरते हुए नाराजगी भरे स्वर में कहा कि इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

‘आपने लोगों को लगभग दो वर्षों तक भ्रम में रखा’

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा, ‘आज सख्त आदेश देने जा रहा हूं। आप इस आर्युवेदिक दवाई के जरिए कैसे लोगों को ठीक कर सकते हैं? हमारे आदेश के बावजूद आपने ये दावा किया कि ये केमिकल-बेस्ड मेडिकल कम्पनी से अच्छी दवा है। इस कारण आपने लोगों को लगभग दो वर्षों तक भ्रम में रखा। आप इसका इंतजार कर रहे थे कि ड्रग एक्ट के जरिए आप पर प्रतिबंध लगे।’

इस मामले में कोई काररवाई नहीं करने पर केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ लिया

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के ‘भ्रामक और झूठे’ विज्ञापनों के मामले में कोई काररवाई नहीं करने पर केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ लिया। पीठ ने कहा, ‘सरकार आंखें बंद करके बैठी है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को तत्काल कुछ काररवाई करनी होगी।’

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