नई दिल्ली, 23 नवम्बर। उच्चतम न्यायालय ने अपनी एक अहम टिप्पणी में कहा है कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्तों के ‘नाजुक कंधों’ पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं और वह मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टी.एन. शेषन की तरह के सुदृढ़ चरित्र वाले व्यक्ति को चाहता है।
उल्लेखनीय है कि शेषन केंद्र सरकार में पूर्व कैबिनेट सचिव थे और उन्हें 12 दिसम्बर, 1990 को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 11 दिसम्बर, 1996
‘निर्वाचन आयुक्त के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को चुनने की जरूरत‘
न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि उसका प्रयास एक प्रणाली बनाने का है, ताकि सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने। पीठ ने कहा, ‘अनेक मुख्य निर्वाचन आयुक्त हुए हैं, लेकिन टी.एन. शेषन एक ही हुए हैं। तीन लोगों (दो चुनाव आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त) के कमजोर कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। हमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को चुनना होगा। सवाल है कि हम सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को कैसे चुनें और कैसे नियुक्त करें।’
पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार शामिल हैं। उसने केंद्र की ओर से मामले में पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, ‘महत्वपूर्ण यह है कि हम एक अच्छी प्रक्रिया बनाएं, ताकि योग्यता के अलावा सुदृढ़ चरित्र के किसी व्यक्ति को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया जाए।’
‘निर्वाचन आयुक्तों के लिए उठती रही है कॉलेजियम प्रणाली की मांग‘
उन्होंने कहा कि किसी को इस पर आपत्ति नहीं हो सकती और उनके विचार से सरकार भी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति का विरोध नहीं करेगी, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि 1990 से विभिन्न वर्गों से निर्वाचन आयुक्तों समेत संवैधानिक निकायों के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग उठती रही है और एक बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसके लिए पत्र लिखा था।