नई दिल्ली, 9 दिसम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए बनी कॉलेजियम व्यवस्था पर आरटीआई कानून लागू होने की बात से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कॉलेजियम की बैठकों को इसके दायरे में नहीं लाया जा सकता क्योंकि मीटिंग के अंत में सभी सदस्य जजों के हस्ताक्षर के साथ जो प्रस्ताव पारित होता है, वही अंतिम निर्णय होता है। इससे पहले मीटिंग में जो भी चर्चा होती है, वह कोई निर्णय नहीं होता बल्कि एक तात्कालिक चर्चा होती है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें आरटीआई एक्ट के तहत 2018 में हुई कॉलेजिमय की मीटिंग से जुड़ी डिटेल मांगी गई थी।
कॉलेजियम की बैठकों में जो भी चर्चा होती है, उसे जनता के बीच लाना जरूरी नहीं
जस्टिस आरएम शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा, ‘कॉलेजियम कई सदस्यों वाली एक संस्था है, जिसका निर्णय एक प्रस्ताव के तौर पर होता है। जब तक यह प्रस्ताव तैयार नहीं होता और उस पर कॉलेजि्यम के सभी सदस्यों के साइन नहीं होते हैं, तब तक उसे अंतिम निर्णय नहीं कहा जा सकता। वहीं चर्चा के दौरान जो कुछ भी निष्कर्ष होता है, वह तात्कालिक फैसला होता है और वह कोई अंतिम निर्णय नहीं होता।’ जजों ने साफ कहा कि कॉलेजियम की बैठकों में जो भी चर्चा होती है, उसे जनता के बीच लाना जरूरी नहीं है और कॉलेजिमय की बैठकों की चर्चा पर आरटीआई कानून लागू नहीं होता।
आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने दाखिल की थी अर्जी
आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज की अर्जी को खारिज करते हुए बेंच ने कहा कि कॉलेजियम की मीटिंग्स पर यह कानून लागू नहीं होता। अंतिम निर्णय ही वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। अपनी अर्जी में अंजलि भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी. लोकुर के उस बयान की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2018 में राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग के प्रमोशन का फैसला लिया गया था। इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन को उच्चतम न्यायालय में लाने का फैसला लिया गया था। लेकिन यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई।
कॉलेजियम की व्यवस्था को लेकर सरकार और अदालत के बीच टकराव जारी
रिपोर्ट के अनुसार 30 दिसम्बर, 2018 को रिटायर होने वाले जस्टिस लोकुर ने कहा था कि उनकी सदस्यता वाले कॉलेजियम ने जो फैसला लिया था, उस पर अमल नहीं किया गया। इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने गत दो दिसम्बर को कहा था कि यह सबसे पारदर्शी संस्थान है। बेंच ने कहा था कि कॉलेजियम की व्यवस्था को पटरी से नहीं उतारा जा सकता। गौरतलब है कि कॉलेजियम की व्यवस्था को लेकर इन दिनों सरकार और अदालत के बीच टकराव देखने को मिल रहा है। पिछले दिनों किरेन रिजिजू ने इस पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया था।