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दिल्ली आबकारी नीति घोटाला केस : सुप्रीम कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुरक्षित रखा फैसला

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नई दिल्ली, 5 सितम्बर। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार चल रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इस दौरान सीबीआई और केजरीवाल की दलीलें सुनने के बाद दिल्ली सीएम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

दरअसल, केजरीवाल को पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था, लेकिन उस मामले में जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। इस दौरान केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू मौजूद रहे।

21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल अब तक 148 दिन जेल में रहे हैं

उल्लेखनीय है कि सीएम केजरीवाल को ईडी ने इस वर्ष 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें 10 दिन की पूछताछ के बाद एक अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया था। 51 दिनों तक जेल में रहने के बाद उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 21 दिनों के लिए 10 मई को रिहा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी। इसके बाद दो जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था। कुल मिलाकर देखें तो केजरीवाल को जेल गए कुल 169 दिन हो गए हैं और यदि 21 दिन की रिहाई को कम कर दिया जाए तो वह अब तक कुल 148 दिन जेल में रहे हैं।

केजरीवाल की ओर से जमानत के लिए दो याचिकाएं दायर की गई हैं। पहली याचिका गिरफ्तारी को चुनौती देने की है जबकि दूसरी याचिका जमानत के लिए है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, सिर्फ बयान हैं।

राजू की दलील : सेशन कोर्ट गए बिना सीधे हाई कोर्ट पहुंचे

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ‘याचिकाकर्ता ने सेशन कोर्ट गए बिना सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। धारा 439 के तहत, दोनों का समान क्षेत्राधिकार है। मेरी आपत्ति यह है कि उन्हें पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए। गुण-दोष के आधार पर जांच करने वाली पहली अदालत ट्रायल कोर्ट है।’

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को सेशन कोर्ट के फैसले का फायदा होगा। सामान्य सिद्धांत यह है कि पहले सेशन कोर्ट में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेशन कोर्ट में न जाने से हाई कोर्ट ने अंततः योग्यता के आधार पर निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने उस आदेश को चुनौती दी है।

सिसोदिया, कविता ने ट्रायल कोर्ट का किया सामना : एएसजी

गौरतलब है कि गत पांच अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था। एएसजी ने कहा कि सिसोदिया, के. कविता सभी ने ट्रायल कोर्ट का सामना किया। उन्होंने कहा कि वह (केजरीवाल) दो बार ट्रायल कोर्ट नहीं गए हैं (जैसा कि सिसोदिया के मामले में हुआ है)।

संजय सिंह को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने को कहा गया था

एएसजी ने कोर्ट से कहा कि आपने ही संजय सिंह को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था। यहां तक कि केजरीवाल के ईडी वाले मामले में भी ऐसा किया गया। उन्होंने गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, इस मामले में उन्हें ट्रायल कोर्ट भेजा गया गया था। इस मामले में ऐसा लगता है कि वह एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी शख्स हैं, जिनको लेकर अगल नजरिया रखा जा रहा है। कई अदालतों का मानना है कि सबसे पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए।

जस्टिस भुइयां बोले – HC को उसी दिन आदेश पारित देना चाहिए था

इस पर जस्टिस जे. कांत भुइयां ने कहा, ‘हाई कोर्ट को इस प्रश्न पर तुरंत निर्णायक होना चाहिए था। हाई कोर्ट को उसी दिन आदेश पारित करना चाहिए था, जब नोटिस जारी किया गया था। भले ही हाई कोर्ट का अस्थायी दृष्टिकोण था, फिर भी उसे सुनना चाहिए था। देखिए, इसकी वजह से क्या हुआ? इस मामले में कुछ वादी सीधे संपर्क कर सकते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि उच्चतम संस्थानों पर अधिक बोझ क्यों डाला जाए?’

3 पैरा आदेश लिखने में हाई कोर्ट को 7 दिन लग गए?

एएसजी ने कहा कि हाई कोर्ट बिना सुनवाई के यह फैसला नहीं कर सकता था। सीधे तौर पर यह नहीं कहा जा सकता था कि वापस जाओ। उन्हें नोटिस दी गई थी। 29 तारीख को इसे रिजर्व कर दिया गया था। ऐसा नहीं कि हाई कोर्ट ने ज्यादा देर लगा दी। इस पर जस्टिस भुइयां ने कहा, ‘आखिरकार, हाई कोर्ट ने इस बिंदु पर एक तर्कसंगत राय बनाई। हाई कोर्ट को यह 3 पैरा आदेश लिखने में 7 दिन लग गए?