नई दिल्ली, 1 अक्टूबर। सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 10 माह से भी ज्यादा समय से दिल्ली की तीन सीमाओं पर आंदोलनरत किसान संगठनों को कड़ी फटकार लगाई है और उनसे पूछा है कि क्या इस आंदोलन के चलते लोग अपने उद्योग-धंधे बंद कर दें।
कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन की मांग को लेकर दिल्ली के किसानों से जुड़े संगठन ‘किसान महापंचायत’ की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आप ट्रेनें रोक रहे हैं, हाईवे बंद कर रहे हैं। क्या शहरी लोग अपना बिजनेस बंद कर दें? क्या ये लोग शहर में आपके धरने से खुश होंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आपने पूरे शहर को अवरुद्ध कर रखा है, और अब आप शहर के भीतर आकर प्रदर्शन करना चाहते हैं।’ जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस रविकुमार की बेंच ने कहा, ‘आप कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, इसका मतलब है कि आपको कोर्ट पर भरोसा है। फिर विरोध प्रदर्शन की क्या जरूरत है?’
प्रदर्शन के नाम पर लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से कहा, ‘नागरिकों को बिना किसी डर के स्वतंत्र रूप से घूमने का समान अधिकार है और विरोध में उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए। आपको प्रदर्शन का अधिकार है। लेकिन प्रदर्शन के नाम पर सरकारी संपत्ति को नुकसान और सुरक्षाकर्मियों पर हमले की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सुनवाई के दौरान महापंचायत की ओर से पेश वकील अजय चौधरी ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, ‘हाईवे पुलिस द्वारा बंद किए गए हैं। हमने हाईवे बंद नहीं किए। हमें पुलिस ने हिरासत में भी लिया था। हम जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं।’ इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि किसान महापंचायत अलग ग्रुप है। यह हाईवे के बंद होने के लिए जिम्मेदार नहीं है।
अब 4 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
अब इस मामले में चार अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने ‘किसान महापंचायत’ नाम के संगठन से हलफनामा पेश करने के लिए कहा है कि वे घोषित करें कि वे राजधानी की सीमाओं पर हो रहे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हैं।