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सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली सरकार को फटकार – विज्ञापनों के लिए पैसा है, लेकिन राष्ट्रीय परियोजना के लिए नहीं…?

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नई दिल्ली, 21 नवम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने विकास परियोजनाओं की अनदेखी पर दिल्ली सरकार क कड़ी फटकार लगाई है और दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) परियोजना के लिए 415 करोड़ रुपये का फंड तत्काल जारी करने का आदेश जारी किया है।

एक हफ्ते के भीतर RRTS के लिए 415 करोड़ का फंड जारी करें

दरअसल, रैपिड परियोजना को लेकर फंड न देने से सुप्रीम कोर्ट नाराज है। इस क्रम में मंगलवार को शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि वह आरआरटीएस के लिए एक हफ्ते के भीतर 415 करोड़ रुपये का फंड जारी कर दे दे अन्यथा दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग दे दी जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवम्बर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष 24 जुलाई को 415 करोड़ रुपये न देने पर दिल्ली सरकार को घेरते हुए कहा था, ‘यदि ये राशि नहीं दी तो हम दिल्ली सरकार के विज्ञापनों बजट पर रोक लगाकर अटैच कर लेंगे।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए परियोजना भी जरूरी है। पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ था जबकि इस साल का बजट 550 करोड़ है। 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर दिल्ली सरकार तीन सालों में विज्ञापन के लिए ₹1100 करोड़ आवंटित कर सकती है तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए फंड भी जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापन बजट का किया जिक्र

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि या तो भुगतान करें या फिर अदालत उसके फंड तो अटैच करने के आदेश जारी करेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की फटकार और चेतावनी के बाद दिल्ली सरकार दो महीने के भीतर 415 करोड़ का बकाया देने को राजी हो गई थी, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने यहां तक कहा था कि अगर सरकार पिछले तीन वर्षों में विज्ञापन के लिए ₹1,100 करोड़ आवंटित कर सकती है, तो वह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भी फंड आवंटित कर सकती है।

पीठ ने राज्य सरकार को दो महीने के भीतर परियोजना के लिए बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परियोजना के लिए अपने हिस्से के फंड में देरी को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद उसने दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर अपने खर्च का विस्तृत ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था। ऐसा तब हुआ, जब दिल्ली सरकार ने कहा कि उसके पास इस परियोजना के लिए धन नहीं है। आज जब मामला सुनवाई के लिए आया तो दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि धन आवंटित किया जाएगा।

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