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कोलकाता रेप-हत्या केस : सुप्रीम कोर्ट ने FIR में देरी पर बंगाल सरकार को लगाई फटकार, डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील

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नई दिल्ली, 22 अगस्त। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बीते दिनों प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के रेप व नृशंस हत्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। शीर्ष  अदालत ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार के जरिए केस में बरती गई लापरवाही को लेकर उसे फटकार लगाई। कोर्ट ने इसी क्रम में डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और साथ ही आश्वासन दिया कि अस्पतालों में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे काम करेगा

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा कि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को काम पर लौटने दिया जाए। एक बार जब वे काम पर लौट आएंगे तो अदालत अधिकारियों पर काररवाई नहीं करने का दबाव बनाएगी। अदालत ने कहा कि यदि डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे काम करेगा।

CJI ने डॉक्टरों की ड्यूटी 36 घंटे तक होने पर चिंता जताई

चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों की ड्यूटी 36 घंटे तक होने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘जब मेरे एक रिश्तेदार भर्ती थे, तब मैं भी सरकारी हॉस्पिटल में फर्श पर सोया हूं। सरकारी अस्पतालों में इतनी दिक्कतें हैं कि उसे बताते हुए हमारे पास कई ईमेल आए हैं।

पुलिस अधिकारी के काम का तरीका बिल्कुल सही नहीं था

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बंगाल सरकार के वकील से कहा कि पुलिस ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वो क्रिमिनल प्रोसीजर कोड से अलग है। जज ने कहा, ‘मैंने अपने 30 साल के करिअर में ऐसा नहीं देखा है। आपके पुलिस अधिकारी के काम का तरीका बिल्कुल सही नहीं था। डायरी एंट्री दिखाती है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद संरक्षित किया गया।’

पुलिस की लेटलतीफी से अहम सबूत मिटने का अंदेशा

पीठ ने कहा कि घटनास्थल पर कई अहम सुराग थे, लेकिन उसे संरक्षित करने में देर की गई। इसकी वजह से अहम सबूत मिट जाने का अंदेशा है। कोर्ट ने कहा कि पूर्वाह्न 10.10 बजे अननेचुरल डेथ की डायरी एंट्री हुई। ये परेशान करने वाली है। शव उठाते वक्त पुलिस को मालू्म था कि यह अननेचुरल डेथ है, फिर भी रात में 11.45 बजे एफआईआर की गई। अदालत ने बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल को फटकार लगाते हुए उन्हें जिम्मेदारी से जवाब देने तक को कह दिया।

अदालत में कपिल सिब्बल और सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बीच झड़प भी हो गई। मेहता ने कहा कि घटना की सूचना की जानकारी पूर्वाह्न 10.10 बजे की है जबकि अननेचुरल डेथ केस रात 11.30 बजे दर्ज हुआ है। इतनी देरी गलत ही नहीं, बल्कि अमानवीय है। इसका सिब्बल ने विरोध किया।

मामले की सुनवाई के दौरान इस बात का भी जिक्र हुआ कि एक वकील ने शव से काफी मात्रा में सीमेन मिलने की बात कही थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हमारे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। आप सोशल मीडिया के आधार पर दावा मत कीजिए।’

इस बीच तुषार मेहता ने कहा कि वैसे सरकार का हलफनामा भी सोशल मीडिया के आधार पर ही है। ये सुनकर सिब्बल नाराज हो गए और कहा कि आप हलफनामा ठीक से पढ़िए। सिब्बल ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुई हिंसा के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि वहां लोग प्रोटेस्ट के नाम पर जुटे थे। बाद में वहां हिंसा होने लगी।