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सुप्रीम कोर्ट की एमपी के मंत्री विजय शाह को कड़ी फटकार, कहा – ‘आपके बयान से पूरा देश शर्मसार’

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नई दिल्ली, 19 मई। उच्चतम न्यायालय ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह को आज कडी फटकार लगाई और कहा, ‘आपके बयान से पूरा देश शर्मसार है। हमने आपके वीडियो देखे, आप घटिया भाषा का इस्तेमाल करने की कगार पर थे। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने न सिर्फ शाह की माफी को अस्वीकार कर दिया बल्कि मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का भी आदेश दिया है।

शाह की माफी अस्वीकार, मामले की जांच के लिए SIT गठन का आदेश

गौरतलब है कि विजय शाह ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 14 मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ कर्नल कुरैशी पर विवादित टिप्पणी मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई के दौरान शाह के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल ने माफी मांग ली है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया, ‘वह माफी क्या है? वह कहां है? हम देखना चाहेंगे कि आपने किस तरह की माफी मांगी है।’

लोग दिखावटी मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं, आपकी माफी कैसी है?’

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “आपकी भाषा और अंदाज से नहीं लग रहा कि आप लज्जित हैं। ‘माफी’ शब्द का एक अर्थ होता है। कभी-कभी लोग सिर्फ मुसीबत से बचने के लिए माफी मांगते हैं। लोग दिखावटी मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं। आपकी माफी कैसी है?”

एक अनुभवी राजनीतिज्ञ को बोलते समय शब्दों पर विचार करना चाहिए

शीर्ष अदालत ने विजय शाह की माफी को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हुए कहा, ‘हमें आपकी माफी की जरूरत नहीं है, यह अवमानना नहीं है। हम इसे कानून के अनुसार संभाल सकते हैं। सिर्फ़ इसलिए कि आप अदालत में आ रहे हैं, आप माफीनामा दे रहे हैं। आप एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं। एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। आपको बोलते समय अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए। हमें आपका वीडियो यहां प्रदर्शित करना चाहिए। यह सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमें बहुत जिम्मेदार होने की ज़रूरत है।’

जो बोला है, उसका परिणाम भुगतना ही होगा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। इस SIT में तीन वरिष्ठ IPS अधिकारी शामिल होंगे, जिनमें से एक महिला अधिकारी होगी। सभी अधिकारी मध्य प्रदेश के बाहर के होंगे। SIT का गठन मंगलवार (20 मई) दस बजे तक किया जाना है और उसे 28 मई तक स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। शीर्ष कोर्ट ने स्पष्ट किया, ‘हम मामले पर बारीकी से नजर रखेंगे। जो बोला है, उसका परिणाम भुगतना ही होगा।’

शीर्ष अदालत ने तत्काल गिरफ्तारी से शाह को दी राहत

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह को तत्काल गिरफ्तारी से राहत दी है। कोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने और पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है। इसके अधीन, अब तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।’

उल्लेखनीय है कि यह विवाद तब शुरू हुआ, जब मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। कर्नल कुरैशी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान मीडिया के सामने पाकिस्तान पर भारतीय सेना की काररवाई की जानकारी दी थी। विजय शाह के खिलाफ महू तहसील स्थित मानपुर थाने में FIR दर्ज की गई थी। यह एफआईआर तीन गंभीर धाराओं 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत दर्ज की गई थी।

गत 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री को फटकार लगाई थी और कहा था कि देश में ऐसी स्थिति के समय मंत्री के हर शब्द में जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने विजय शाह के वकील से कहा था, ‘आप किस तरह के बयान दे रहे हैं? आप सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री हैं।’

सुप्रीम कोर्ट की अन्य टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में कहा, ‘मंत्री के बयान से पूरा देश शर्मसार है और मंत्री को उचित माफ़ी मांगकर या माफ़ी के साथ खेद व्यक्त करके खुद को सही साबित करना चाहिए था। हम एक ऐसा देश हैं, जो कानून के शासन का पालन करता है और यह उच्चतम से निम्नतम स्तर तक के लिए समान है।’

जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा, ‘आप जिम्मेदार राजनेता हैं, आपको सोच समझ कर बोलना चाहिए, लेकिन आपने बहुत घटिया भाषा अपनाई है। सशस्त्र बलों के लिए यह एक भावनात्मक समय है और आपको जिम्मेदार होना चाहिए। हमें सेना पर गर्व है और वे अग्रिम मोर्चे पर हैं।’ कुल मिलाकर देखें तो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मंत्री विजय शाह की स्थिति और कठिन हो गई है और उनके खिलाफ कानूनी काररवाई आगे बढ़ेगी।

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