नई दिल्ली, 1 मार्च। उच्चतम न्यायालय ने सभी सांसदों और विधायकों की डिजिटल निगरानी के लिए निर्देश देने की गुहार वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुरिंदर नाथ कुंद्रा की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उन्हें (सांसदों और विधायकों) निजता का अधिकार है।
पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, “अदालत सांसदों-विधायकों पर ‘चिप’ (डिजिटल निगरानी) लगाने का आदेश कैसे पारित कर सकती है? ऐसी निगरानी तो अपराधियों के लिए की जाती है।” कुंद्रा ने अपनी याचिका में देश के सभी सांसदों और विधायकों की डिजिटल निगरानी करने का निर्देश देने की मांग की थी।
पीठ ने कुंद्रा को याद दिलाते हुए कहा, “निगरानी के लिए हम उनके (सांसदों और विधायकों) के पैरों और हाथों पर कुछ चिप्स नहीं लगा सकते कि वे क्या करते हैं। हम ऐसा केवल एक दोषी अपराधी के मामले में करते हैं, जिसके बारे में आपको आशंका है कि वह न्याय से भाग सकता है। हम डिजिटल रूप से निगरानी (चुने हुए प्रतिनिधि का) कैसे कर सकते हैं, निजता का अधिकार नाम की कोई चीज होती है।”
कुंद्रा ने दावा किया, ”जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत निर्वाचित होने के बाद, ये सांसद/विधायक शासकों की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।” इस पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता हर सांसद/विधायक के बारे में ऐसा नहीं कह सकता।
पीठ ने उनसे कहा, ”आपको एक व्यक्ति- विशेष के खिलाफ शिकायत हो सकती है, लेकिन आप सभी सांसदों के खिलाफ आरोप नहीं लगा सकते।” पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, “सांसदों/विधायकों का अपने घर में अपना जीवन है और वे अपने परिवार के साथ हैं, क्या हम उन पर चौबीसों घंटे निगरानी रखने के लिए उनके कंधों पर कुछ चिप्स डालते हैं।”