नई दिल्ली, 5 जनवरी। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान का अधिग्रहण करने और उसे पूजा के लिए हिन्दुओं को सौंपने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज की थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, ‘यह मुद्दा पहले से ही उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। एक से ज्यादा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए।’
याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने भी मुकदमे लंबित होने के आधार पर जनहित याचिका खारिज कर दी थी।पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर की थी और इसलिए इसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
पीठ ने आदेश में कहा, ‘हम आक्षेपित निर्णय में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। हम स्पष्ट करते हैं कि याचिका खारिज किया जाना किसी भी कानून को चुनौती देने के पक्षों के अधिकारों पर टिप्पणी करना नहीं है और न ही किसी भी कानून को चुनौती देने से रोकना है।’
माहेश्वरी ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि वह एक समर्पित हिन्दू हैं और प्रार्थना करते हैं कि पूजा करने के उनके मौलिक अधिकार को संरक्षित किया जाए। उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका में उन्होंने कहा था कि कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान के वास्तविक स्थान को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित कर कृष्ण जन्मस्थान में विराजमान भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए हिन्दुओं को सौंप दिया जाना चाहिए। कृष्ण जन्मस्थान के वास्तविक स्थान पर फिलहाल शाही ईदगाह मस्जिद है।