नई दिल्ली, 28 नवम्बर। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर सुनवाई से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनकी बीमारी ‘गंभीर प्रकृति की या जानलेवा’ प्रतीत नहीं होती। बालाजी को धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है। द्रमुक नेता ने स्वास्थ्य आधार पर जमानत का अनुरोध किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा – उनकी बीमारी ‘गंभीर प्रकृति की या जानलेवा’ प्रतीत नहीं होती
शीर्ष अदालत मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि यदि उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा की पीठ ने बालाजी की स्वास्थ्य रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि उनके स्वास्थ्य की स्थिति में कुछ भी गंभीर नहीं है और बालाजी नियमित जमानत के अनुरोध के लिए निचली अदालत जा सकते हैं। पीठ ने कहा, ‘गुण-दोष के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अंतरिम आदेश में की गई कोई भी टिप्पणी उनके नियमित जमानत आवेदन दाखिल करने के मार्ग में नहीं आएगी।’
बालाजी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शुरू में अदालत से मस्तिष्क संबंधी गंभीर ‘लैकुनर इन्फार्क्शन’ का हवाला देते हुए बालाजी की याचिका को अनुमति देने का अनुरोध किया था। इस स्थिति में मस्तिष्क की भीतरी रक्तवाहिनियों में खून का प्रवाह बाधित हो जाता है। न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, ‘मैंने ‘गूगल’ पर इस बारे में जानकारी हासिल की, जो बताता है कि इसे दवा के जरिए ठीक किया जा सकता है। ऐसा नहीं लगता कि यह कोई गंभीर या जानलेवा किस्म की बीमारी है। अन्यथा हम इस पर गंभीरता से विचार करते।’
इसके बाद रोहतगी ने कहा कि चिकित्सा आधार पर जमानत के लिए किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना ही आवश्यक नहीं है। पीठ के मामले में विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करने पर याचिका वापस ले ली गई और मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया। शीर्ष अदालत ने पहले बालाजी को अपनी चिकित्सकीय रिपोर्ट रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया था।
जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि बालाजी की स्वास्थ्य रिपोर्ट से ऐसा नहीं लगता कि यह कोई ऐसी चिकित्सीय स्थिति है जिसका उनके जमानत पर रहने के दौरान ही इलाज किया जा सकता है। बालाजी को 14 जून को ईडी ने ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था, जब वह पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) शासन के दौरान परिवहन मंत्री थे।