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आसाराम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को जारी की नोटिस 

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नई दिल्ली, 22 नवम्बर। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को जेल में बंद स्वयंभू संत आसाराम की उस याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने 2013 के बलात्कार मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने आसाराम की ओर से पेश वकील से कहा कि वह इस मुद्दे पर तभी विचार करेगी, जब इसके पीछे कोई चिकित्सीय आधार होगा। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 दिसम्बर के लिए तय करते हुए कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे, लेकिन हम केवल चिकित्सा स्थितियों पर ही विचार करेंगे।’’

गुजरात उच्च न्यायालय ने गत 29 अगस्त को आसाराम की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने 2023 में गांधीनगर की एक अदालत द्वारा मामले में आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया था। सजा को निलंबित करने और उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि राहत का कोई मामला नहीं बनता।

उल्लेखनीय है कि जनवरी, 2023 में सत्र अदालत ने आसाराम को 2013 के बलात्कार मामले में दोषी ठहराया। यह मामला एक महिला ने दर्ज कराया था, जो अपराध के समय गांधीनगर के पास उनके आश्रम में रह रही थी। आसाराम फिलहाल बलात्कार के एक अन्य मामले में राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि उनकी अपील के निबटारे में संभावित देरी, उनकी उम्र और चिकित्सा स्थिति के बारे में उनकी दलीलें राहत प्रदान करने के लिए प्रासंगिक नहीं थीं। अदालत ने पूर्व के मामलों पर भी विचार किया, जिसमें साबरमती आश्रम में दो लड़कों की कथित हत्या और गवाहों तथा पीड़ितों के रिश्तेदारों पर हमले शामिल थे। आसाराम की याचिका में कहा गया है कि वह साजिश का शिकार हुए हैं और बलात्कार के आरोप झूठे हैं।

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