नई दिल्ली, 29 जुलाई। उच्चतम न्यायालय ने बिहार में हाल में कई पुलों के ढहने की घटनाओं के मद्देनजर राज्य में सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों का उच्चतम स्तर का संरचनात्मक ऑडिट कराने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को बिहार सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ब्रजेश सिंह द्वारा दायर याचिका पर राज्य की नीतीश कुमार सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को अपना-अपना जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया।
ब्रजेश सिंह ने अपनी याचिका में बिहार सरकार को पुलों की निगरानी के लिए उचित और प्रभावी नीति या तंत्र बनाने का निर्देश देने की मांग की है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सरकार की कथित घोर लापरवाही और ठेकेदारों तथा संबंधित एजेंसियों के भ्रष्ट गठजोड़ के कारण दिन-प्रतिदिन जान-माल के नुकसान की दुर्भाग्यपूर्ण बड़ी घटनाएं हो रही हैं।
उनकी याचिका में न्यायालय से राज्य सरकार को कानून या कार्यकारी आदेश के माध्यम से एक कुशल स्थायी निकाय बनाने के लिए उचित निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है, जिसमें सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों की निरंतर निगरानी के लिए संबंधित क्षेत्र के उच्च स्तरीय विशेषज्ञ शामिल हों। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत के सबसे अधिक बाढ़-ग्रस्त राज्य बिहार में 68,800 वर्ग किमी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है, जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 73.06 फीसदी है।
याचिका में कहा गया है कि बिहार में पुल गिरने की ऐसी नियमित घटनाएं अधिक विनाशकारी हैं और बड़े पैमाने पर अनिश्चितता में जी रहे लोगों की जान बचाने के लिए शीर्ष अदालत के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि निर्माणाधीन पुल बनने से पहले ही अपने आप ढह गए। बिहार में जून 2024 में 11 दिन के अंदर चार पुल ढह गए थे, जिनमें से अधिकांश निर्माणाधीन अवस्था में थे।