नई दिल्ली, 2 अगस्त। उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस चरण में हस्तक्षेप करना अनुचित और समय पूर्व काररवाई होगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस धारणा पर चुनावी बॉण्ड की खरीद की जांच का आदेश नहीं दे सकती कि यह अनुबंध देने के लिए एक तरह का लेन-देन था। पीठ ने कहा, ‘‘अदालत ने चुनावी बॉण्ड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार किया क्योंकि इसमें न्यायिक समीक्षा का पहलू था। लेकिन आपराधिक गड़बड़ियों से जुड़े मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत नहीं लाया जाना चाहिए, जब कानून के तहत उपाय उपलब्ध हैं।’’
शीर्ष अदालत गैर सरकारी संगठनों ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) तथा अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। दोनों गैर सरकारी संगठनों की जनहित याचिका में इस योजना की आड़ में राजनीतिक दलों, कॉरपोरेशन और जांच एजेंसियों के बीच स्पष्ट मिलीभगत का आरोप लगाया गया।