नई दिल्ली, 19 अगस्त। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के जामनगर स्थित ‘ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर’ के खिलाफ दर्ज जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। अधिवक्ता कन्हैया कुमार ने यह याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर एक चिड़ियाघर और पंजीकृत संरक्षण केंद्र है। उसे विदेश से पशु-पक्षियों को लाकर यहां रखने की अनुमति देने में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा किसी तरह की कोई कानूनी लापरवाही या अनदेखी नहीं की गई है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को लगाई कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका को दाखिल करने से पहले पर्याप्त रिसर्च किया है।’ याचिकाकर्ता को कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वह स्वयं भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञ नहीं हैं और उन्होंने सिर्फ न्यूज रिपोर्ट के आधार पर याचिका दाखिल कर दी। न्यूज रिपोर्ट भी किसी विशेषज्ञ ने तैयार नहीं की है। सभी तथ्यों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि इसमें किसी तरह का अवैध काम हुआ है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। इस मामले में अदालत को दखल देने का कोई आधार नहीं प्राप्त होता।
याचिका में कहा गया था कि ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर एक निजी संस्थान है और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने उसे विदेश और स्वदेश से जानवरों को लाने की अनुमति दे दी। वे जामनगर में प्राइवेट चिड़ियाघर खोलना चाहते हैं।
ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर ने इस याचिका के विरोध में दाखिल हलफनामे में कहा था कि याचिकाकर्ता ने सुनी सुनाई बातों को आधार बनाकर यह याचिका दाखिल की है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने तमाम तथ्यों पर विचार करने के बाद ही उन्हें अनुमति दी थी। यहां तमाम जानवरों के इलाज के लिए विस्तृत इंतजाम किया गया है।