नई दिल्ली/लखनऊ, 22 जुलाई। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा, जब सोमवार को शीर्ष अदालत ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, ढाबा, रेस्तरां, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को जारी की नोटिस
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों – जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने एक एनजीओ ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कांवड़ मार्ग स्थित दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई और राज्य सरकार को नोटिस जारी की है। याचिका दाखिल करने वालों ने इसे आर्टिकल 15 का उल्लंघन बताया है, जो धर्म या जाति के आधार पर किसी भी भेदभाव को गैर-कानूनी बनाता है।
इसलिए योगी सरकार ने जारी किया था आदेश
दरअसल, कांवड़ यात्रा रूट पर दूसरे धर्म के दुकानदारों से कांवड़ियों की किसी भी वजह से संभावित बहस और झगड़े की पुरानी घटनाओं के मद्देनजर योगी सरकार ने दुकानों पर मालिक का नाम लिखवाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में होटल और ढाबा में काम करने वाले मुसलमानों को काम से हटा दिया गया। जिन मुसलमानों ने हिन्दू समझ आने वाले नाम से ढाबा खोल रखा था, उन्हें बदलकर ऐसा नाम रखने कहा गया है जिससे कांवड़ियों को समझ आ जाए कि ये ढाबा हिन्दू का नहीं है।
योगी सरकार के फैसले का पक्ष-विपक्ष के कई नेता कर रहे विरोध
योगी सरकार के फैसले का विपक्ष के साथ-साथ एनडीए में भाजपा के सहयोगी भी विरोध कर रहे हैं। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसका खुलकर विरोध किया है। अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी समेत अनेक विपक्षी नेताओं ने इसे धार्मिक भेदभाव और सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ाने वाला बताते हुए आदेश वापस लेने की मांग की है।
भाजपा के कई सहयोगी दल भी फैसला वापस लेने की कर चुके हैं मांग
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू, लोजपा-आर और आरएलडी ने भी इसका विरोध किया है और इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। जेडीयू और लोजपा तो बिहार की पार्टियां हैं लेकिन जयंत चौधरी की आरएलडी का पूरा प्रभाव इसी इलाके में है और उसका आधार वोट जाट और मुसलमान हैं। जयंत चौधरी ने इसे फैसले पर तंज कसते हुए कहा था कि क्या अब कुर्ते पर भी नाम लिखवा लें। उन्होंने कहा है कि कांवड़ियां जाति या धर्म देखकर सेवा नहीं लेते। उन्होंने कहा कि सरकार ने चूंकि फैसला कर लिया है, इसलिए अब पीछे नहीं हट रही, लेकिन अब भी समय है कि इस फैसले को वापस लिया जाए।