नई दिल्ली, 29 अगस्त। केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर आजकल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के 12वें दिन मंगलवार को भारत सरकार व जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा और कोई रोडमैप है? पीठ ने कहा, हम समझते हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं।’
सीजेआई ने कहा – ‘यदि एक राष्ट्र जीवित रहता है तो हम सभी जीवित रहते हैं‘
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘संघ के लिए यह कहना संभव क्यों नहीं था कि अभी एक राज्य के मामले में, हमारे पास राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में इतनी चरम स्थिति है कि हम एक निश्चित अवधि के लिए चाहते हैं कि एक यूटी बनाया जाए। लेकिन यह स्थायी नहीं है और यह एक राज्य के रूप में बहाल किया जाएगा। क्या कोई संघ स्थिरता लाने के लिए एक निश्चित अवधि के लिए ऐसा नहीं कर सकता? आइए इसका सामना करें, चाहे वह एक राज्य हो या केंद्रशासित प्रदेश, यदि एक राष्ट्र जीवित रहता है तो हम सभी जीवित रहते हैं। सरकार को भी हमारे सामने एक बयान देना होगा कि प्रगति होनी है। यह स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश नहीं हो सकता।’
अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के अनिवासियों से उनका मौलिक अधिकार छीन रहा था
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर (J&K) के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35A को लेकर अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के अनिवासियों से उनका मौलिक अधिकार छीन रहा था।
सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35-A ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया है। इसने नागरिकों से जम्मू- कश्मीर में रोजगार, अवसर की समानता, संपत्ति अर्जित करने के अधिकार छीना है। ये अधिकार खास तौर पर गैर-निवासियों से छीने गए हैं।