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सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली, 15 अगस्त। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। 80 वर्षीय डॉ. पाठक ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को सुबह करीब छह बजे महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम लाया जाएगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बिंदेश्वर पाठक मंगलवार को पूर्वाह 10.30 बजे अपने आवास महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम पहुंचे। यहां करीब 11 बजे ध्वजारोहण हुआ। करीब पांच मिनट इन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। इसके कुछ देर बाद इन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत महसूस हुई। करीब 12 बजकर 50 मिनट पर इनकी बेचैनी काफी बढ़ गई।

उन्होंने स्वयं एम्स के चिकित्सक बात की। इसके बाद ये पूरे होश में एम्स निकले। डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर धड़कन ठीक करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दिल्ली एम्स के आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार करीब एक बजकर 42 मिनट पर  पाठक ने अंतिम सांस ली।

पीएम मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन प्रदान किया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा। उनका काम कई लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ओम शांति।’

टाइम पत्रिका ने दिया था स्थान

डॉ. बिंदेश्वर पाठक मूल रूप से बिहार के वैशाली जिला स्थित रामपुर बघेल गांव के रहने वाले थे। वर्ष 1991 में उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया। डॉक्टर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया था।

1970 में सुलभ इंटरनेशनल की हुई थी स्थापना

महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम में स्थापित इस संग्रहालय में देश-विदेश के अनेक लोग पहुंच चुके हैं। सिर पर मैला ढोने की प्रथा की समाप्ति के इनके द्वारा किये गए कार्यों को पूरी दुनिया में तारीफ मिली। डॉक्टर पाठक ने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी।

देशभर में हैं करीब 8500 शौचालय

बिंदेश्वर पाठक ने सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की, जो मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। देशभर में सुलभ इंटरनेशनल के करीब 8500 शौचालय और स्नानघर हैं। सुलभ इंटरनेशनल के शौचालय के प्रयोग के लिए 5 रुपये और स्नान के लिए 10 रुपये लिए जाते हैं, जबकि कई जगहों पर इन्हें सामुदायिक प्रयोग के लिए मुफ्त भी रखा गया है।

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