शिमला, 28 फरवरी। हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस के छह विधायकों की क्रॉस वोटिंग का यह नतीजा हुआ कि न सिर्फ पार्टी प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को भाजपा के हर्ष महाजन के हाथों पराजय झेलनी पड़ी वरन अब मुख्यमंत्री सुखदेव सिंह सुक्खू की सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं।
इस क्रम में पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भाजपा विधायकों के साथ बुधवार को पूर्वाह्न राजभवन जाकर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मुलाकात की। सियासी गलियारों में कयास लगने लगे हैं राज्यसभा चुनाव में बड़े झटके के बाद कांग्रेस सरकार खतरे में पड़ गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जयराम ठाकुर ने भाजपा विधायकों की बैठक के बाद कहा, ‘विधानसभा में जो कुछ हुआ, उसके बारे में हमने राज्यपाल को सूचित कर दिया है। जब हमने वित्तीय विधेयक के दौरान मत विभाजन की मांग की तो स्पीकर ने हमारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था और सदन को दो बार स्थगित किया था। हमारे विधायकों के प्रति मार्शलों का आचरण अस्वीकार्य है।’
पूर्व सीएम ठाकुर ने यह भी आशंका जताई कि स्पीकर कुछ भाजपा विधायकों के साथ कांग्रेस के उन विधायकों के खिलाफ दंडात्मक काररवाई कर सकते हैं, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। उन्होंने कहा, ‘हमें डर है कि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा विधायकों के साथ-साथ कुछ कांग्रेस विधायकों को भी निलंबित कर सकते हैं, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था। राज्यसभा चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सूबे में कांग्रेस सरकार को अब सत्ता में बने रहने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।’
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा को सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के हंगामे के बीच मंगलवार को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया था। ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार मत विभाजन से भाग रही है क्योंकि वह अपना बहुमत खो चुकी है।
खरगे ने भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को शिमला भेजा
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हिमाचल संकट को कम करने के लिए दो वरिष्ठ नेताओं – भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को शिमला भेजा है। 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक हैं जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं। भाजपा उम्मीदवार के लिए मतदान करने वाले छह कांग्रेस विधायकों ने जाहिर तौर पर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के लिए मंच तैयार कर दिया है।