चंडीगढ़, 16 नवम्बर। पंजाब में एक राजनीतिक घटनाक्रम के तहत राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। समझा जाता है कि बादल ने अगले चुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस्तीफा दिया है।
पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने X पर एक पोस्ट में बादल के इस्तीफे की जानकारी शेयर की और कहा कि शिअद अध्यक्ष एस सुखबीर सिंह बादल ने नए अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आज पार्टी की कार्य समिति को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
The SAD President S Sukhbir Singh Badal submitted his resignation to the working Committee of the party today to pave the way for the election of new President. He thanked all the party leaders & workers for expressing confidence in his leadership and extending wholehearted…
— Dr Daljit S Cheema (@drcheemasad) November 16, 2024
चीमा की पोस्ट में आगे कहा गया कि बादल ने अपने नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करने और पूरे कार्यकाल के दौरान पूरे दिल से समर्थन और सहयोग देने के लिए पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया। आगे की रणनीति तय करने के लिए अकाली दल कार्यसमिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने सोमवार, दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में कार्यसमिति की आपात बैठक बुलाई है।
शिअद के नए पदाधिकारियों का 14 दिसम्बर को चुनाव निर्धारित
उल्लेखनीय है कि अकाली दल के अध्यक्ष पद, पदाधिकारियों और कार्यसमिति के लिए चुनाव 14 दिसम्बर को होने हैं। वहीं सुखबीर बादल को अकाल तख्त की ओर से ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया जा चुका है। अब बादल के इस्तीफे से नए पार्टी प्रमुख के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
अकाल तख्त की ओर से ‘तनखैया‘ घोषित किए जा चुके हैं बादल
बादल ने शिअद के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से कुछ दिन पहले अकाल तख्त के जत्थेदार से धार्मिक कदाचार के आरोपों में उन्हें सजा सुनाने का आग्रह किया था। शिअद नेता ने कहा था कि उन्हें ‘तनखैया’ करार दिए जाने को दो महीने से अधिक समय बीत चुका है।
जत्थेदार ने अब तक बादल के लिए ‘तनखा‘ की घोषणा नहीं की है
गौरतलब है कि सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 2007 से 2017 तक अकाली दल और उसकी सरकार की ओर से की गई ‘गलतियों’ के लिए बादल को गत 30 अगस्त को ‘तनखैया’ घोषित किया था। जत्थेदार ने अब तक बादल के लिए ‘तनखा’ (धार्मिक सजा) की घोषणा नहीं की है। बादल के अकाल तख्त से कोई अस्थायी राहत पाने में नाकाम रहने के बाद शिअद ने बीते 24 अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह उपचुनाव नहीं लड़ेगा।
पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की पूर्व प्रमुख बीबी जागीर कौर सहित कई बागी शिअद नेता गत एक जुलाई को अकाल तख्त के सामने पेश हुए थे। उन्होंने 2007 से 2017 तक पार्टी की सरकार की ओर से की गई ‘गलतियों’ के लिए माफी मांगी थी।