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सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआई के नए प्रमुख, दो वर्ष का होगा कार्यकाल

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नई दिल्ली, 26 मई। महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का नया निदेशक नियुक्त किया गया है। मौजूदा समय केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसफ) के महानिदेशक के पद पर कार्यरत सुबोध का कार्यकाल कार्यभार संभालने के साथ दो वर्ष का होगा।

महाराष्ट्र के पुलिस कमिश्नर और डीजीपी भी रह चुके हैं सुबोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई नियुक्ति समिति के बैठक में तीन अफसरों का नाम शॉर्टलिस्ट किया गया था, उनमें 1985 बैच के आईपीएस सुबोध जायसवाल सबसे वरिष्ठ हैं। सुबोध जायसवाल कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं, उनमें महाराष्ट्र के डीजीपी का पद भी शामिल है। इसके अलावा वह मुंबई के पुलिस कमिश्नर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। बताया जाता है कि राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार से मतभेद के बाद सुबोध केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए थे।

फरवरी से खाली पड़ा है सीबीआई निदेशक का पद

गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक का महत्वपूर्ण पद फरवरी से ही खाली पड़ा हुआ है। फरवरी तक इस पद पर ऋषि कुमार शुक्ला कार्यरत थे। उनके बाद प्रवीण सिन्हा ने अंतरिम प्रमुख के रूप में कमान संभाल रखी है।

नए निदेशक की नियुक्त के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी और देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमना की महत्वपूर्ण बैठक चार महीने पहले ही होनी थी, जो किसी न किसी कारणवश टलती रही। फिलहाल अब बैठक होने के बाद सुबोध जायसवाल के नाम पर अंतिम मुहर लग गई।

वरिष्ठता के मामले में कौमुदी व केआर चंद्र पिछड़े

बैठक में जिन तीन अफसरों का नाम शॉर्टलिस्ट किया गया था, उनमें जायसवाल के अतिरिक्त सशस्त्र सीमा बल के निदेशक के.आर. चंद्र और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव वीएसके कौमुदी का नाम शामिल था।

बैठक के बाद जानकारों का कहना था कि सीबीआई निदेशक की दौड़ में सुबोध कुमार सबसे आगे हैं क्योंकि उनकी वरिष्ठता सबसे ज्यादा है। हालांकि बैठक के बाद किसी के नाम की घोषणा नहीं की गई थी। मंगलवार को देर रात सरकार की ओर से जायसवाल के नाम की घोषणा की गई।

सीजेआई के तर्क से राकेश अस्थाना और वाईसी मोदी का पत्ता कटा

चीफ जस्टिस रमना ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए सोमवार को हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए एक नियम का हवाला दिया था। उनका तर्क था कि पुलिस चीफ जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ऐसे लोगों को नहीं बैठाया जाना चाहिए, जिनका कार्यकाल छह महीने से कम का बचा हो। विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी चीफ जस्टिस के तर्क का समर्थन किया।

सीजेआई के इस तर्क के बाद वे दो नाम सीबीआई निदेशक की दौड़ से बाहर हो गए, जिन्हें बैठक के पहले सबसे आगे माना जा रहा था। इनमें पहला नाम बीएसएफ के चीफ राकेश अस्थाना का है, जो आगामी 31 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं। एनआईए के चीफ वाईसी मोदी का नाम भी प्रमुखता से आगे चल रहा था, लेकिन इस नियम का हवाला दिए जाने के बाद उनके भी नाम पर भी विचार नहीं किया गया। मोदी 31 मई को रिटायर होने वाले हैं।