यहाँ रीसेंटली ये एक्टिविटी शुरु की है, जिसको वॉटर रोलर या वॉटर जॉरबिंग बोलते हैं। जॉरबिंग तो लैंड बेस जॉरबिंग थ्रूआउट इंडिया तो होती ही है, लेकिन यहां पर डल लेक में हमने पहली बार इंट्रोडयूस करा है। काफी टूरिस्ट का इसकी ओर रुझान भी रहा है, काफी ज्यादा टूरिस्ट ने इसे पसंद किया, लोकल्स ने भी इसे काफी पसंद किया।
स्थानीय बच्चों का मानना है कि ये ऐसे समय में अच्छा कदम है जब लोग शिकारे की सवारी से ऊब गए हैं।”ये जो चीज है, इसे मैंने पहली बार देखा है। इस तरह की चीजें अगर आएंगी तो बच्चों पर भी पॉजिटिव इंपैक्ट पड़ेगा क्योंकि अब तक शिकारा राइड, वो थोड़ी बोरिंग हो गई थी, तो अब अगर ऐसी चीजें आती रहेंगी, जैसे स्कीइंग भी तो बच्चे सीखेंगे और उनकी मेंटल हेल्थ पर भी पॉजिटिव इंपैक्ट पड़ेगा।
इलाके के लोगों को लगता है कि इस नए आकर्षण से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में मदद मिलेगी।सबके दिमाग में एंटरप्रेन्योरशिप बहुत मॉड्यूल बनाने का, कुछ करने का, क्योंकि बीच में कुछ भी हेजर्ड्स आते हैं उनको क्योंकि उनका प्रोजेक्ट भी ऐसा ही रहता है। मैं एप्रीशिएट करता हूं टूरिज्म डिपार्टमेंट का और एलसीएम का, जो कि नई एक्टिविटी करने को दी है यहां पर, क्योंकि हमारा टूरिज्म बढ़ जाएगा यहां पर, हमारी इकोनॉमी स्ट्रॉन्ग हो जाएगी।”
वॉटर ज़ोरबिंग एक लोकप्रिय मनोरंजक खेल है जिसमें प्रतिभागियों को बड़े, पारदर्शी और फुलाए जाने गोले के अंदर कदम रखना होता है जिन्हें ज़ॉरबिंग कहा जाता है। प्रतिभागियों को पानी की सतह पर लुढ़कने, उछलने और घूमने के दौरान सूखा रखने के लिए इन जोरबिंग को सील कर दिया जाता है।