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श्रीलंका ‘दिवालिया’ होने की कगार पर, रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाया संकट

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नई दिल्ली, 26 मार्च। भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका इन दिनों अपने सबसे मुश्किल आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश में महंगाई अपने चरम पर है। श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के पीछे यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले की भी अहम भूमिका मानी जा रही है।

ब्लूमबर्ग ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एक रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों ने श्रीलंका के पहले से जारी आर्थिक संकट को और भीषण बना दिया। इसलिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सहायता मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा।

इतना ही नहीं श्रीलंका की कमाई का बड़ा हिस्सा पर्यटन क्षेत्र से आता है। लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले  ने श्रीलंका में पर्यटन के संकट को भी बढ़ा दिया। श्रीलंका में सबसे ज्यादा पर्यटक यूरोप, रूस और भारत से ही आते हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से श्रीलंका की जीडीपी में इस सेक्टर का 10% से ज्यादा योगदान है।

श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कई पहलुओं पर विचार कर रहा आईएमएफ

इस बीच आईएमएफ श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कई पहलुओं पर विचार कर रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका को एक उपयुक्त सहायता पैकेज देने के लिए बातचीत अप्रैल में शुरू हो सकती हैं। तब देश के वित्त मंत्री और राष्ट्रपति राजपक्षे के भाई बासिल राजपक्षे इसके निमित्त वाशिंगटन की यात्रा पर होंगे।

श्रीलंका पर वर्तमान में 3.9 अरब डॉलर का कर्ज

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का हालत इस समय इतनी बुरी है कि वह ‘दिवालिया’ होने की कगार पर पहुंच गया है। ब्लूमबर्ग के आंकलन के हिसाब से अभी श्रीलंका पर विदेशी मुद्रा में 3.9 अरब डॉलर का कर्ज है, जबकि उसके पास कुल दो अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है। इसमें भी एक अरब डॉलर मूल्य के सॉवरेन बांड हैं, जिनकी मेच्योरिटी जुलाई में होनी है।

महंगाई का आलम यह है कि सरकार के सामने आर्थिक आपातकाल लगाने के साथ ही पेट्रोल-डीजल, मिट्टी का तेल, राशन और खाने-पीने की अन्य चीजें बांटने के लिए आर्मी लगाने की नौबत आ गई है।

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