टोक्यो, 8 अगस्त। कोरोना महामारी के साए में एक वर्ष विलंब से जापानी राजधानी में आयोजित 32वें ओलंपिक खेलों का रविवार की शाम रंगारंग समारोह के बीच समापन हो गया। 206 देशों के लगभग 11 हजार खिलाड़ियों के बीच विभिन्न खेल स्पर्धाओं में 17 दिनों तक चली श्रेष्ठता की जंग में अमेरिका फिर सबसे आगे रहा।
हालांकि भारत भी ओलंपिक इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सफल रहा और उसके हिस्से एक स्वर्ण, दो रजत व चार कांस्य सहित सात पदक आए। इसके पूर्व भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में छह मेडल अपने नाम किए थे।
टोक्यो खेलों में भाला प्रक्षेपक नीरज चोपड़ा के स्वर्ण के अलावा मीराबाई चानू (भारोत्तोलन, रजत पदक), रवि दहिया (कुश्ती, रजत पदक), पी.वी. सिंधु (कांस्य पदक), लवलीना बोरगोहेन (मुक्केबाजी, कांस्य पदक) और समापन समारोह में भारतीय ध्वजवाहक की भूमिका निभाने वाले बजरंग पूनिया (कुश्ती, कांस्य पदक) ने जहां व्यक्तिगत स्पर्धाओं में पदक जीते वहीं रिकॉर्ड आठ बार की चैंपियन पुरुष हॉकी टीम भी अर्से बाद कांस्य के रूप में कोई पदक जीतने में सफल रही।
46 खेलों में 340 स्वर्ण सहित 1080 पदक दिए गए
टोक्यो में 46 खेलों की विभिन्न स्पर्धाओं में कुल 339 स्वर्ण पदक दांव पर लगे थे। लेकिन पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा में बराबरी के बाद दो एथलीटों को स्वर्ण पदक मिलने से स्वर्ण पदकों की संख्या जहां 340 हो गई वहीं 338 रजत व 402 कांस्य के साथ खिलाड़ियों को कुल 1080 पदक दिए गए।
पदकों की संख्या के हिसाब से भारत को संयुक्त 33वां स्थान
पदक तालिका में कुल 93 देशों ने स्थान पाया। इनमें आठ देशों के हिस्से सिर्फ एक कांस्य पदक आया, लिहाजा वे संयुक्त 86वें स्थान पर रहे। भारत एक स्वर्ण, दो रजत व चार कांस्य लेकर 48वें स्थान पर रहा। हालांकि पदकों की कुल संख्या के हिसाब से वह संयुक्त 33वें स्थान पर रहा।
अमेरिका 39 स्वर्ण सहित 113 पदकों के साथ शीर्ष पर
फिलहाल सुपर पॉवर अमेरिका ने एक बार फिर अपनी हनक दिखाई और 39 स्वर्ण, 41 रजत व 33 कांस्य सहित 113 पदकों के साथ तालिका में शिखर पर रहा। शीर्ष पांच देशों में चीन (38-32-18, कुल 88 पदक), मेजबान जापान (27-14-17, कुल 58 पदक), ग्रेट ब्रिटेन (22-21-22, कुल 65 पदक) व रूस (20-28-23, कुल 71 पदक) शामिल रहे। हालांकि ज्यादा पदकों की संख्या के आधार पर रूस, ब्रिटेन के मुकाबले जापान पांचवें स्थान पर पिछड़ गया।