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उद्धव ठाकरे के मातोश्री में भी फूट – बालासाहेब के पर्सनल स्टाफ भी शिंदे गुट में शामिल

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मुंबई, 27 सितम्बर। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री में भी बड़ी फूट देखने को मिली, जब उनके पिता व पार्टी संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के पर्सनल स्टाफ चंपा सिंह थापा बागी एकनाथ शिंदे गुट शामिल हो गए। उनके साथ बालासाहेब के टेलीफोन ऑपरेटर मोरेश्वर राजे भी शिंदे गुट में आ गए। जब तक बालासाहेब सक्रिय राजनीति में थे, चंपा सिंह थापा और मोरेश्वर राजे मातोश्री में उनके पर्सनल स्टाफ थे।

सीएम शिंदे बोले – थापा और राजे ने महाविकास अघाड़ी को कभी स्वीकार नहीं किया

इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि चंपा सिंह थापा और मोरेश्वर राजे ने उनके गुट में शामिल होने का फैसला किया, क्योंकि वही (शिंदे) ‘असली’ शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और बालासाहेब तथा हिन्दुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। बालासाहेब साफ बातें करते थे। लोग उन्हें अच्छी तरह से जानते थे, इसलिए राजे और थापा ने महाविकास अघाड़ी के तहत कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना के गठबंधन को स्वीकार नहीं किया।

चंपा सिंह ने 27 वर्षों तक की बालासाहेब की सेवा

चंपा सिंह थापा मूलत: नेपाल के हैं। 2012 में बालासाहेब के निधन तक लगातार 27 वर्षों तक उनकी सेवा की है। बालासाहेब को खाना-पानी देने, समय पर दवा देने, हमेशा साफ तौलिया तैयार रखने जैसे कई काम थापा ही करते थे। अक्सर लोग बालासाहेब तक अपनी बात पहुंचाने या उनकी खोज खबर लेने के लिए थापा से ही बात करते थे। बालासाहेब की संगत में रहते-रहते थापा को भी राजनीति चस्का लग गया था। बहुत साल पहले जब नेपाल शिवसेना की स्थापना की गई थी, तो थापा को उसका मुख्य संरक्षक भी बनाया गया था।

मोरेश्वर राजे उठाते थे फोन

वहीं बालासाहेब के दूसरे पर्सनल स्टाफ मोरेश्वर राजे को लोग शिवसेना में राजे के नाम से जानते हैं। राजे मातोश्री में बालासाहेब के पर्सनल टेलीफोन ऑपरेटर थे। उस समय मोबाइल का जमाना नहीं था। सभी को बालासाहेब से संपर्क करने के लिए मातोश्री के लैंडलाइन नंबर पर ही फोन करना पड़ता था। तब राजे ही फोन उठाते थे और लोगों के संदेश बालासाहेब को देते थे। बालासाहेब के कहने पर वही उनके लिए इच्छित व्यक्ति को फोन भी लगाते थे।

मोरेश्वर राजे की स्टाइल थी, ‘हेलो मैं बंगले से राजे बोल रहा हूं, साहब बात करेंगे’, उसके बाद लाइन बालासाहेब को ट्रांसफर की जाती थी। शिवसेना के तमाम नेता मातोश्री पर जाने से पहले या बुलाए जाने के बाद बालासाहेब का मूड पता करने के लिए राजे से ही संपर्क में रहते थे।

बालासाहेब के पीए उद्धव के साथ

इन दोनों के अलावा बालासाहेब के पर्सनल स्टाफ में एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति उनके पर्सनल सेक्रेटरी रवि म्हात्रे थे। रवि ही बालासाहेब की बैठकों व मुलाकातों का नियोजन करते थे। उन्हें अखबारों की खबरें पढ़कर सुनाते थे। बालासाहेब के निर्देश पर जरूरी खबरों की कतरनें करते थे। उन खबरों को संबंधित जिम्मेदार लोगों तक बालासाहेब की रिमार्क के साथ पहुंचाते थे। शिवसेना के शाखा प्रमुखों, विभागप्रमुखों और बालासाहेब के बीच सेतु का काम करते थे। फिलहाल रवि इन दिनों उद्धव ठाकरे के साथ हैं।

पिछले दिनों नेस्को मैदान पर हुए शिवसेना के जिस गुट प्रमुख सम्मेलन में उद्धव ने बीजेपी नेता और देश के गृहमंत्री को चैलेंज दिया था, उसी मंच पर लंबे अर्से बाद रवि बगल में फाइल दबाए दिखाई दिए थे। तब से यह कहा जा रहा है कि शायद उद्धव ने अपने विवादित हो चुके पीए मिलिंद नार्वेकर की जगह पर रवि को तरजीह देना शुरू कर दिया है।

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