अहमदाबाद, 18 फरवरी। भारतीय लोकतंत्र अपने इतिहास में अपराधियों को दी गई सबसे बड़ी सजा का शुक्रवार को गवाह बना, जब अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में स्पेशल कोर्ट ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी एवं 11 दोषियों को आखिरी सांस तक कैद यानी आजीवन कारावस रहने की सजा सुनाई।
धमाकों में मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजे का भी आदेश
दोषियों की वर्चुअली पेशी हुई थी और जब कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई, तब दोषी अलग-अलग जेल में बैठे हुए थे। दोषियों को सजा सुनाने के अलावा कोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश भी दिया है। इसके तहत लगभग 14 वर्ष पूर्व हुए उन धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। साथ ही गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपये देने का कोर्ट ने आदेश दिया।
26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के दौरान हुए थे 21 धमाके
इंडियन मुजाहिदीन ने लिया था 2002 के गोधरा कांड का बदला
13 वर्षों तक चली थी मामले की सुनवाई
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में 78 आरोपित थे। एक आरोपित बाद में सरकारी गवाह बन गया था। इस कारण कुल 77 आरोपितों पर केस शुरू हुआ। 13 वर्षों तक चली सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने इस दौरान छह हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे।
अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट के जज अंबालाल पटेल ने गत आठ फरवरी को 6,752 पन्नों के फैसले में 49 आरोपितों को दोषी ठहराया था जबकि 28 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली बार है, जब एक साथ 49 आरोपितों को आतंकवाद के आरोप में दोषी ठहराया गया है। दोषियों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और यूएपीए के तहत दोषी करार दिया गया है।
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के अहम घटनाक्रम
- 26 जुलाई, 2008 को अहमदाबाद में 70 मिनट की अवधि में 21 बम धमाके हुए।
- धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई, 200 से ज्यादा घायल हुए।
- इस मामले में अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 एफआईआर दर्ज हुई।
- दिसंबर, 2009 से मामले की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने सभी 35 एफआईआर को एक कर दिया।
- 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए गए।
- कुल 78 आरोपित थे। एक सरकारी गवाह बन गया। बाद में 77 आरोपितों पर केस चला।
- 8 फरवरी, 2022 को 49 आरोपित दोषी करार। 28 आरोपित बरी हुए।
- स्पेशल कोर्ट के जज अंबालाल पटेल ने 6,752 पन्नों का फैसला सुनाया।
- 49 दोषियों में से 38 को फांसी की सजा और 11 को आजीवन कारावास की सजा।