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सपा ने जारी की यूपी के अपराधियों की सूची, पूछा – ये योगी के खासमखास हैं? सबसे ऊपर ब्रजेश सिंह का नाम

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लखनऊ, 14 अप्रैल। माफिया अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) लगातार सवाल उठा रही है और जाति-धर्म के आधार पर अपराधियों के खिलाफ एक्शन और एनकाउंटर का सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगा रही है। इस क्रम में सपा ने अब अपराधियों की एक सूची जारी की और योगी सरकार से कई सवाल पूछे हैं।

सपा की ओर से जारी सूची में सबसे ज्यादा अपराध ब्रजेश सिंह पर दिखाया गया है। ब्रजेश सिंह की गिनती पूर्वांचल के बड़े माफिया में होती है। मुख्तार अंसारी से उसकी अदावत तीन दशक से चल रही है। ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह वाराणसी से भाजपा के सहयोग से एमएलसी हैं और भतीजा सुशील सिंह चंदौली की सकलडीहा सीट से भाजपा से विधायक है।

सपा के मीडिया प्रकोष्ठ (हैंडल) ने शुक्रवार को एक ट्वीट में अपराधियों की सूची का जिक्र करते हुए कहा कि ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं? दरअसल ये सब योगी जी के स्वजातीय हैं। इसीलिए अभी तक बचे भी हुए हैं। अपराध भी कर रहे हैं और गिरोह भी चला रहें। ये अपराधी हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, वसूली, रंगदारी सब कर रहे हैं। ट्वीट में एक नोट जोड़ते हुए समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने कहा है – लिस्ट पुरानी है, लेकिन इसमें ज्यादातर अपराधी भाजपा समर्थित हैं और सक्रिय हैं।

सूची में विभिन्न नेताओं के नाम और उनके खिलाफ कथित रूप से दर्ज मामलों की संख्या भी दी गई है। सूची में कुलदीप सिंह सेंगर (उन्नाव, 28 मामले), बृजेश सिंह (वाराणसी, 106 मामले), धनंजय सिंह (जौनपुर, 46 मामले), राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) (प्रतापगढ़, 31 मामले), उदयभान सिंह (भदोही, 83 मामले), अशोक चंदेल (हमीरपुर, 37 मामले), विनीत सिंह (चंदौसी, 34 मामले), बृजभूषण सिंह (गोंडा, 84 मामले), चुलबुल सिंह (वाराणसी, 53 मामले), सोनू सिंह (सुल्तानपुर, 57 मामले), मोनू सिंह (सुल्तानपुर, 48 मामले), अजय सिंह सिपाही (मिर्जापुर, 81 मामले), पिंटू सिंह (बस्ती, 23 मामले), सन्नी सिंह (देवरिया, 48 मामले), संग्राम सिंह (बिजनौर, 58 मामले), चुन्नू सिंह (महोबा, 42 मामले) और बादशाह सिंह (महोबा, 88 मामले) शामिल हैं।

इस बीच कुछ नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी राज्य में पुलिस मुठभेड़ों की बड़ी संख्या पर सवाल उठाए हैं। पीवीसीएचआर (पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स) के संस्थापक संयोजक लेनिन रघुवंशी शुक्रवार को कहा, ‘हमारा विचार है कि पुलिस मुठभेड़ों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कुछ दिशा निर्देश हैं। एनएचआरसी के दिशानिर्देशों के अनुसार एक मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए। इससे ऐसे मामलों में तस्‍वीर साफ हो जाएगी।’

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