जोहानेसबर्ग, 8 जून। दक्षिण अफ्रीकी शहर डरबन की एक अदालत ने महात्मा गांधी की प्रपौत्री आशीष लता रामगोबिन को 60 लाख रैंड (भारतीय मुद्रा में लगभग 3.22 करोड़ रुपये) की धोखाधड़ी और जालसाजी के जुर्म में सोमवार को सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई।
56 वर्षीया लता रामबोबिन पर उद्योगपति एस.आर. महाराज के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप था। महाराज ने उन्हें कथित रूप से भारत से एक ऐसी खेप के आयात और सीमाशुल्क कर के समाशोधन के लिए 62 लाख रैंड दिये थे, जिसका कोई अस्तित्व नहीं था। इसमें उन्हें लाभ का एक हिस्सा देने का वादा किया गया था।
गौरतलब है कि आशीष लता रामगोबिन जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इला गांधी और दिवंगत मेवा रामगोबिंद की संतान हैं। वर्ष 2015 में जब लता रामगोबिन के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी, तब राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (एनपीए) के ब्रिगेडियर हंगवानी मूलौदजी ने कहा था कि उन्होंने संभावित निवेशकों को यकीन दिलाने के लिए कथित रूप से फर्जी चालान और दस्तावेज दिए थे कि भारत से लिनेन के तीन कंटेनर आ रहे हैं।
वर्ष 2015 में जमानत पर रिहा हुई थीं लता रामगोबिन
अदालत ने उस वक्त लता रामगोबिन को 50,000 रैंड की जमानत राशि पर रिहा कर दिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि लता रामगोबिन ने ‘न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवेयर डिस्ट्रीब्यूटर्स’ के निदेशक महाराज से अगस्त, 2015 में मुलाकात की थी। कम्पनी कपड़ों, लिनेन और जूते-चप्पलों का आयात, निर्माण और बिक्री करती है। महाराज की कम्पनी लाभांश के आधार पर अन्य कम्पनियों को वित्तीय मदद भी मुहैया कराती है।
लता रामगोबिन ने महाराज से कहा था कि उन्होंने ‘साउथ अफ्रीकन हॉस्पिटल ग्रुप नेट केयर’ के लिए लिनेन के तीन कंटेनर मंगाए हैं। रामगोबिन के परिवार और नेट केयर के दस्तावेज के कारण महाराज ने कर्ज के लिए उनसे लिखित समझौत कर लिया। लेकिन बाद में जब उन्हें फर्जीवाड़े का पता चला तो उन्होंने लता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया।