नई दिल्ली, 14 सितम्बर। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि पिछले आठ वर्षों में सत्ता चुनिंदा राजनेताओं और व्यापारिक व्यक्तियों में हाथों में केंद्रित हो गई है, जिससे भारत का लोकतंत्र व संस्थाएं कमजोर हो रही हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि संवैधानिक मूल्यों व सिद्धांतों पर हमला किया जा रहा है और चुनावी लाभ के लिए मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने को लेकर सामाजिक सद्भाव के बंधन को जान बूझकर तोड़ा जा रहा है।
कभी स्वतंत्र रहीं संस्थाएं अब ‘कार्यपालिका का औजार‘ बनकर रह गई हैं
सोनिया गांधी ने देश के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित एक स्तम्भ में लिखा कि पहले स्वतंत्र रहीं संस्थाएं अब ‘कार्यपालिका का औजार’ बनकर रह गई हैं, जो पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही हैं। परिणामस्वरूप, चुनावी चंदे और उद्योगपतियों से सांठगांठ के जरिए अर्जित धन के बल पर चुनाव परिणामों को विकृत किया जा रहा है। सरकारी एजेंसियां सरकार का विरोध करने वाले किसी भी राजनीतिक दल के पीछे लग जाती हैं।
कांग्रेस नेता का लेख कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली जा रही कांग्रेस की महत्वाकांक्षी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बीच आया है। यात्रा का उद्देश्य देश में कथित विभाजन का मुकाबला करना और पार्टी संगठन को फिर से जीवंत करना है।
ठोस बुनियाद के कारण कई मुश्किलों को पार करते दुनिया का अग्रणी राष्ट्र बना भारत
सोनिया गांधी ने लेख में कहा, ’75 साल पहले भारतीय गणराज्य के निर्माताओं ने उदारवादी और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनने का रास्ता चुना। यह कई पड़ावों से गुजरा, लेकिन ठोस बुनियाद होने के कारण कई मुश्किलों को पार करते देश दुनिया का अग्रणी राष्ट्र बन गया। यह भुला दिया गया है कि (आजादी मिलने के समय) बहुत सारे लोगों ने अनुमान लगाया था कि भारत विफल हो जाएगा क्योंकि यह गरीब देश है और धर्म, क्षेत्र, भाषा, जाति और वंश के आधार पर बंटा हुआ है तथा इसने सदियों के औपनिवेषिक शोषण और हिंसक बंटवारे का सामना किया है। इसके बाद भी भारत एक संघीय, प्रगतिशील राजनीतिक व्यवस्था वाले देश के रूप में सामने आया, जहां सभी की आकांक्षाएं समाहित थीं।’
मतभेदों के बावजूद हर नागरिक का भारत पर समान अधिकार
सोनिया ने कहा, ‘राष्ट्रीय एकता को यह सुनिश्चित करते हुए हासिल किया गया कि हमारी कई संस्कृतियां और पहचान हैं, जो ताकत हैं क्योंकि यह समझा गया कि विविधिता हमारी ताकत है। मतभेदों के बावजूद हर नागरिक का भारत पर समान अधिकार है।’
गुटनिरपेक्षता की नीति ने भारत को महाशक्तियों की स्पर्धा के दायरे से दूर रखा
उन्होंने कहा, ‘गुटनिरपेक्षता की नीति ने भारत को महाशक्तियों की स्पर्धा के दायरे से दूर रखा। इसने भारत को शीतयुद्ध के समय एक लोकतंत्र के रूप में फलने-फूलने का मौका दिया। उस वक्त कई देश अराजकता और तानाशाही के चलते खंडित हो गए थे। भारत वैश्विक समुदाय में एक प्रभावशाली आवाज था तथा वह उत्तरोत्तर मजबूत एवं समृद्ध होता चला गया।’