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सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जनता को लिखा भावुक पत्र – ‘सास और जीवनसाथी को खोकर मैं..!’

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नई दिल्ली, 15 फरवरी। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से नामांकन दाखिल करने के बाद अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जनता के लिए एक भावुक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने रायबरेली की जनता का आभार जताया और कहा कि वह भले ही सीधे तौर पर उनका प्रतिनिधित्व न करें, लेकिन उनका मन-प्राण सदा वहां की जनता के साथ रहेगा। दरअसल, सोनिया की तबीयत खराब रहने लगी है। इसी कारण वह रायबरेली से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी और पार्टी उन्हें राज्यसभा के रास्ते संसद भेज रही है।

मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है, वह रायबरेली में आप लोगों से मिलकर पूरा होता है

सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता को लिखे पत्र में कहा, ‘नमस्कार… मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है। वह रायबरेली आकर आप लोगों से मिलकर पूरा होता है। यह नेह-नाता बहुत पुराना है और अपनी ससुराल से मुझे सौभाग्य की तरह मिला है। रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं। आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर फिरोज गांधी जी को यहां से जिताकर दिल्ली भेजा। उनके बाद मेरी सास श्रीमती इंदिरा गांधी जी को आपने अपना बना लिया। तब से अब तक यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार और जोश के साथ आगे बढ़ता गया और हमारी आस्था मजबूत होती चली गई।’

‘यह कहते हुए मुझे गर्व है कि आज मैं जो कुछ भी हूं, आपकी बदौलत हूं

कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में आगे लिखा, ‘इसी रौशन रास्ते पर आपने मुझे भी चलने की जगह दी। सास और जीवनसाथी को हमेशा के लिए खोकर मैं आपके पास आई और आपने अपना आंचल मेरे लिए फैला दिया। पिछले दो चुनावों में विषम परिस्थितियों में भी आप एक चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे। मैं यह कभी नहीं भूल सकती। यह कहते हुए मुझे गर्व है कि आज मैं जो कुछ भी हूं, आपकी बदौलत हूं और मैंने इस भरोसे को निभाने की हरदम कोशिश की है।’

‘स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी

सोनिया गांधी ने कहा, ‘अब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी। इस निर्णय के बाद मुझे आपकी सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा, लेकि यह तय है कि मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा। मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे, जैसे अब तक संभालते आए हैं। बड़ों को प्रणाम, छोटों को स्नेह, जल्द मिलने का वादा।’

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