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सोनिया गांधी बोलीं – NAC कोई दूसरा पावर सेंटर नहीं था, इसका गठन जनहित में किया गया था

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नई दिल्ली, 25 नवम्बर। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि एक आने वाली किताब के लेख में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) को लेकर सफाई दी है तो वहीं मौजूदा एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एनएसी कोई दूसरा पावर सेंटर नहीं था बल्कि प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली एक समिति मात्र थी, जिसका गठन जनहित में किया गया था।

मोदी सरकार खुल्लमखुल्ला आरएसएस से निर्देश लेकर काम कर रही

गौरतलब है कि सोनिया गांधी पर आरोप लगते रहे हैं कि वह एनएसी की अध्यक्ष रहते हुए मनमोहन सिंह की सरकार के अहम निर्णय लेती थीं। इसके उलट उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार खुल्लमखुल्ला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से निर्देश लेकर काम कर रही है। आरएसएस न तो विश्वसनीय है और न ही जनता ने उसे चुना है।

एनएसी की भूमिका बहुत ही सीमित थी, लेकिन इसे अपमानित किया गया

‘एन्हैंसिंग पीपल्स राइट ऐंड फ्रीडम – NAC रीविजिटेड’ नाम के लेख में सोनिया गांधी ने लिखा, ‘बड़ी विडंबना है कि एनएसी को अपमानित किया गया, लेकिन मौजूदा एनडीए सरकार लगातार अपनी नीतियों को लेकर निर्देश आरएसएस से लेती है। 2015 में केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी नीतियों का पूरा खाका प्रजेंट किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे मार्गदर्शन नाम दिया था। उन्होंने लिखा कि एनएसी की भूमिका बहुत ही सीमित थी। यह केवल प्रधानमंत्री को सुझाव दिया करती थी जबकि अंतिम फैसला प्रधानमंत्री और सरकार ही लिया करती थी।

सोनिया गांधी ने कहा कि जब एससी और एसटी के लिए अलग से बजट बनाने और गैरसंगठित क्षेत्र के लिए सोशल सिक्योरिटी का फ्रेमवर्क बनाने का सुझाव एनएसी ने दिया था तो इसे लागू नहीं किया गया था। उन्होंने लिखा, ‘एनएसी कोई भी कार्यकारी फैसला लेने में शामिल नहीं रहता था। बहुत सारे ऐसे सुझाव दिए गए, जिन्हें कभी लागू नहीं किया गया। यह केवल अडवाइजरी रोल में ही थी। एनएसी को लेकर इस तरह की बातें इसलिए भी की गईं कि इसकी अध्यक्ष उस वक्त कांग्रेस की भी अध्यक्ष थीं।’

एनडीए सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालय सिर्फ रबर स्टैंप

राष्ट्रीय योजना आयोग का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, 1038 में ही तब के कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस ने फैसले लेने की संस्था का विकेंद्रीकरण करने के लिए एनएसी जैसी बॉडी बनाई थी। उन्होंने कहा कि अब की एनडीए सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालय केवल रबर स्टैंप बनकर रह गए हैं। संसदीय लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। उन्होंने एनएसी की सफलताओं की लिस्ट बताते हुए कहा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, वन अधिकार कानून 2006 जैसे कानून एनएसी की सलाह के बाद बने थे।

जनता को फैसले लेने और सलाह देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है

सोनिया गांधी ने कहा कि एनडीए सरकार ने 2014 से लेकर 2019 तक 186 बिल पेश किए, जिनमें से 142 पर कोई सलाह नहीं ली गई। केवल 44 बिलों को जनता के सुझाव के लिए रखा गया। इसके लिए भी केवल 30 दिनों का समय दिया गया था। जनता को फैसले लेने के अधिकार और सलाह देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। नागरिकों और सरकार के बीच का संबंध एकतरफा हो गया है।

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