नई दिल्ली, 22 मई। देशभर में कोरोना मरीजों की देखभाल में कोरोना वारियर्स भी जी-जान से जुटे हुए हैं। इस दौरान हजारों कोरोना योद्धाओं को भी जान से हाथ धोना पड़ा है। इस क्रम में चिकित्सकों की राष्ट्रीय संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने जानकारी दी है कि कोरोना की दूसरी लहर में अब तक देशभर में 420 डॉक्टरों की मौत हुई हैं।
- दिल्ली में सबसे ज्यादा 100 चिकित्सकों की जान गई
आईएमए की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार दूसरी लहर में सबसे ज्यादा दिल्ली के 100 डॉक्टरों की मौत हुई है जबकि बिहार में भी 100 से तनिक कम 96 डॉक्टर इस महामारी के शिकार हुए हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 41, गुजरात में 31, आंध्र प्रदेश में 26, महाराष्ट्र में 15, मध्य प्रदेश में 13, असम में तीन, गोवा व हरियाणा में दो-दो डॉक्टरों की जान गई है। पंजाब और पुडुचेरी में सबसे कम एक-एक डॉक्टर की मौत हुई है।
- महामारी की पहली लहर में 748 डॉक्टरों की मौत हुई थी
आईएमए के अनुसार कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान देशभर में 748 डॉक्टरों की संक्रमण से मौत हुई थी। आईएमए के अध्यक्ष डॉ.जे.ए. जयलाल ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देशभर में फैली शाखाओं से मिली जानकारी के आधार पर यह सूची तैयार कर रही है।
- वैक्सीन की दोनों डोज का न लगना डॉक्टरों की मौत का सबसे बड़ा कारण
वैसे बताया जा रहा है कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके डॉक्टरों की मौत के केस बहुत कम मिले हैं। अब तक मृत डॉक्टरों में अधिकतर ने तो पहली डोज भी नहीं ली थी। आईएमए भी यह नहीं बता सकी कि कोरोना की दूसरी लहर में मारे गए डॉक्टरों में कितनों को वैक्सीन लग चुकी थी। आईएमए प्रमुख ने कहा, ‘हमारे पास सभी के टीकाकरण की स्थिति को लेकर सटीक आंकड़े नहीं हैं। लेकिन कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का न लगना डॉक्टरों की मौत का सबसे बड़ा कारण रहा है।
- 18–44 वर्ष के डॉक्टरों को तुरंत वैक्सिनेशन की सुविधा नहीं
इस बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि वे वैक्सिनेशन की शुरुआत में ही टीका लेने चाहते थे। लेकिन अब तक करीब 200 डॉक्टरों को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है जबकि इतने ही डॉक्टरों को दूसरी डोज नहीं मिल पाई है। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के करीब 2,500 सदस्य हैं। देश में इस वर्ष 16 जनवरी से वैक्सिनेशन अभियान चल रहा है।
एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप सिंह ने बताया, ‘डॉक्टरों के वैक्सिनेशन को शीर्ष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। 18 से 44 वर्ष के डॉक्टरों को तुरंत वैक्सिनेशन की सुविधा नहीं है। एम्स में केवल 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए स्लॉट हैं जबकि हमारे ज्यादातर रेजिडेंट डॉक्टर 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के बीच के हैं।’