जम्मू, 5 जनवरी। जम्मू-कश्मीर में शांति के दावों के बीच जिन वीडीसी अर्थात ग्राम सुरक्षा समितियों को नजरअंदाज कर दिया गया था, उन्हें डांगरी के हमले ने फिर से पुनर्जीवित करने की जरूरत महसूस करा दी है। सरकार ने इसके प्रति फैसला करते हुए उसमें एक बड़ा बदलाव करने का फैसला भी किया है। यह बदलाव वीडीसी सदस्यों को दिए जाने वाले हथियारों को लेकर है, जो अब बाबा आदम के जमाने के नहीं बल्कि अब अत्याधुनिक होंगे।
अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि वीडीसी के सदस्यों को अब थ्री नाट थ्री रायफलों के स्थान पर एसएलआर रायफलें दी जाएंगी तथा उन्हें सीमांत व आतंकग्रस्त इलाकों में फिर से बनाई जा रही सुरक्षा चौकियों व जांच के लिए लगाए जाने वाले नाकों पर भी नियमित पुलिस व सुरक्षाबलों के साथ तैनात किया जाएगा। ऐसा इसलिए कि वे स्थानीय व आतंकियों के बीच भेद कर सकें।
गौरतलब है कि 1995 में इन ग्राम सुरक्षा समितियों की स्थापना के बाद उन्होंने आतंकवाद को उखाड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन धारा 370 हटाए जाने के बाद उन्हें मौखिक तौर पर प्रतिबंधित कर दिया गया था।
इससे पहले कई आतंकी घटनाओं को किया गया था नजरअंदाज
दरअसल, राजौरी के डांगरी में हुए आतंकी हमले ने सरकार के उन सभी दावों की पोल खोल दी थी, जिसमें वह ‘सब चंगा है और शांति लौट चुकी है’ का ढोल पीट रही थी। वैसे डांगरी में छह लोगों की मौत कोई पहली आतंकी घटना नहीं थी बल्कि राजौरी व पुंछ के जुड़वा जिलों में इससे पहले होने वाली कई आतंकी घटनाओं को भी नजरअंदाज किया जा रहा था। बस कारण एक ही था कि सरकार अपने शांति के दावों से पीछे हटना नहीं चाहती थी।
सभी सुरक्षा चौकियां व नाकों को फिर से स्थापित करने की कवायद शुरू
इसके पहले आतंकियों द्वारा ट्रकोंका इस्तेमाल करते हुए बार्डर से शहरों तक पहुंच जाने की घटनाओं ने भी सुरक्षा बलोंको चिंता में डाल दिया था। यही कारण है कि इन घटनाओं के मद्देनजर अब उन सभी सुरक्षा चौकियों व नाकों को फिर से स्थापित करने की कवायद आरंभ की गई है, जो हटादिए गए थे।