आइजोल, 4 दिसम्बर। पूर्व आईपीएस लालडुहोमा के नेतृत्व में गठित छह क्षेत्रीय दलों के नए गठबंधन जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। 40 सीटों के लिए गत माह सात नवम्बर को हुए मतदान की सोमवार को मतगणना हुई और जेडपीएम ने आसानी से बहुमत का आंकड़ा (21) पार करते हुए 27 सीटें जीत लीं।
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वहीं मुख्यमंत्री जोरमथांगा अपनी सरकार बचाने में नाकामयाब रहे। उनके नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के खाते में सिर्फ 10 सीटें आ सकीं। खुद सीएम जोरमथांगा अपनी सीट नहीं बचा सके। भाजपा दो सीटों पर और कांग्रेस एक सीट पर विजई रही है।
जोरमथांगा अपनी आइजोल ईस्ट-1 सीट नहीं बचा सके
मुख्यमंत्री जोरमथांगा खुद तीन राउंड की गिनती के बाद आइजोल ईस्ट-1 सीट ZPM के लालथनसांगा से हार गए तो उप मुख्यमंत्री तावंलुइया तुईचांग सीट पर जेडपीएम उम्मीदवार डब्ल्यू छुआनावमा से 909 वोटों के अंतर से हार गए। जोरमथांगा ने पार्टी की पराजय के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
सीएम पद के चेहरे ZPM प्रत्याशी लालडुहोमा ने जीती सेरछिप सीट
ZPM के प्रमुख विजेताओं में सीएम पद के चेहरे लालडुहोमा ने अपने एमएनएफ प्रतिद्वंद्वी जे. माल्सावमज़ुआला वानचावंग को 2,982 वोटों से हराकर सेरछिप सीट हासिल की। मिजोरम के स्वास्थ्य मंत्री और एमएनएफ उम्मीदवार आर लालथंगलियाना दक्षिण तुईपुई सीट पर जेडपीएम के जेजे लालपेखलुआ से हार गए। जेडपीएम की लालनघिंगलोवा हमार आइजोल पश्चिम-द्वितीय निर्वाचन क्षेत्र में राज्य के कैबिनेट मंत्री लालरुआत्किमा को हराकर विजयी हुईं।
लालडुहोमा एकाध दिन में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे
लालडुहोमा ने कहा कि वह परिणाम से आश्चर्यचकित नहीं हैं क्योंकि उन्हें शुरू से ही इसकी उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि वह मिजोरम में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए मंगलवार या बुधवार को राज्यपाल से मिलेंगे।
बोले – मिजोरम में वित्तीय संकट, ‘हम संसाधन जुटाने वाली टीम बनाने जा रहे‘
उन्होंने कहा, ‘मिजोरम वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। निवर्तमान सरकार से हमें यही विरासत मिलने वाली है। हम अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने जा रहे हैं। वित्तीय सुधार आवश्यक है और उसके लिए हम एक संसाधन जुटाने वाली टीम बनाने जा रहे हैं।’
अब तक मिजोरम में कांग्रेस और एमएनएफ का ही वर्चस्व रहा है
गौरतलब है कि 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद से मिजोरम के राजनीतिक परिदृश्य पर कांग्रेस और एमएनएफ का ही वर्चस्व रहा है। यहां कभी कांग्रेस और कभी एमएनएफ की सरकारें बनती रही हैं। फिलहाल क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व के बीच यह हालत हुई कि कांग्रेस सिर्फ सीट पर सिमट कर रह गई।