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गुजरात हादसे में एसआईटी का खुलासा – मोरबी पुल के एक केबल में लगा था जंग

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मोरबी, 20 फरवरी। गुजरात के मोरबी पुल हादसे में गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले में अपनी शुरुआती रिपोर्ट सौंपी है। एसआईटी की रिपोर्ट में मोरबी हादसे के असल कारणों को लेकर कई बड़े खुलासे किए गए हैं।

एसआईटी ने दावा किया है कि मच्छु नदी पर बने सस्पेंशन ब्रिज के दो मुख्य केबलों में से एक में जंग लगा हुआ था। घटना से पहले ही इसके आधे तार टूट चुके थे और कई लोगों के ब्रिज पर होने के कारण वह एकाएक टूट गया, जिसमें करीब 135 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।

गौरतलब है कि पांच सदस्यीय एसआईटी की टीम इस मामले की जांच कर रही हैं। दिसम्बर, 2022 में मोरबी ब्रिज हादसे पर प्रारंभिक रिपोर्ट एसआईटी ने जारी की थी। इसके बाद हाल ही में राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा मोरबी नगर पालिका के साथ रिपोर्ट साझा की गई थी। जानकारी के मुताबिक, एसआईटी की टीम में आईएएस अधिकारी राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क और भवन विभाग के एक सचिव और एक मुख्य अभियंता और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर शामिल हैं।

एसआईटी ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां पाईं है। अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल के निलंबन पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मदारी दी गई थी, लेकिन आरोप है कि कम्पनी कथित कई गड़बड़ी की है।

मोरबी पुल हादसे को लेकर एसआईटी की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

गौरतलब है कि मोरबी नगर पालिका ने सामान्य बोर्ड की मंजूरी के बिना ही ओरेवा ग्रुप को पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका दिया था। कम्पनी ने मार्च, 2022 में पुल के नवीनीकरण का काम बंद कर दिया था और बिना किसी परीक्षण के पुल को 26 अक्टूबर को खोल दिया। इस हादसे के आरोप में ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल सहित दस आरोपितों को पहले ही कई संगीन धाराओं में केस दर्ज कर गिरफ्तार किया जा चुका है।

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