Site icon hindi.revoi.in

अतीक-अशरफ हत्याकांड : एसआईटी ने दाखिल की चार्जशीट, अदालत ने तीनों आरोपितों को किया तलब

Social Share

प्रयागराज, 13 जुलाई। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या के मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुरुवार को यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया। शाम को दाखिल की गई चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम ने तीनों आरोपितों को शुक्रवार (14 जुलाई) को न्यायालय में तलब करने का आदेश दिया है। शुक्रवार को ही तीनों आरोपितों – सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या की न्यायिक अभिरक्षा की अवधि भी समाप्त हो रही है।

कोर्ट ने कहा – अपराध का संज्ञान लेने का पर्याप्त आधार

सीजेएम दिनेश कुमार गौतम ने पुलिस की ओर से प्रस्तुत किए गए विवेचना के परिणाम, आरोप पत्र के साथ संलग्न करीब 2000 पेज की केस डायरी और अन्य कागजात, प्रथम सूचना रिपोर्ट, नक्शा नजरी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चालान, फोटो, परीक्षण रिपोर्ट इत्यादि का अवलोकन किया। अवलोकन के पश्चात सीजेएम ने कहा कि अपराध का संज्ञान लिए जाने का पर्याप्त आधार उपलब्ध है, लिहाजा संज्ञान लिया जाता है।

सीजेएम ने साथ ही आरोपितों को 14 जुलाई को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया ताकि उन्हें अभियोजन पत्रों की नकलें उपलब्ध कराई जा सकें और यह मामला विचारण के लिए सत्र न्यायालय को सुपुर्द किया जा सके।

2000 पेज की केस डायरी के साथ 56 पेज का आरोप पत्र

पुलिस ने करीब 2000 पेज की केस डायरी के साथ प्रस्तुत 56 पेज के आरोप पत्र में कहा है कि हत्याकांड के तीनों आरोपित 15 अप्रैल को घटनास्थल पर ही पकड़े गए थे। लवलेश तिवारी, सनी तथा अरुण मौर्या के खिलाफ विवेचना के दौरान पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं, इसलिए सबूत तलब करके दंडित करने की कृपा करें।

इन धाराओं में तैयार हुआ आरोप पत्र

अतीक और अशरफ की हत्यारोपित अरुण, लवलेश और सनी सिंह के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302, 307, 34, 120बी, 419, 420, 467, 468, 471 तथा आर्म्स एक्ट की धारा 3, 7 और 25,27 तथा क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पूर्व की तारीख पर पुलिस के प्रार्थना पत्र के आधार पर अतीक-अशरफ हत्याकांड के तीनों आरोपितों की न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 14 जुलाई तक बढ़ा दी थी। गंभीर अपराध के मामले में अभियुक्त की अभिरक्षा में रहने के दौरान पुलिस को 90 दिनों की अवधि में विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।

गौरतलब है कि अतीक और अशरफ को 15 अप्रैल की रात पुलिस अभिरक्षा में मेडिकल के लिए काल्विन अस्पताल ले जाया गया था। उसी दौरान दोनों की हत्या कर दी गई थी। 15 जुलाई को 90 दिन पूरे हो रहे थे। यदि 15 जुलाई से पूर्व आरोप पत्र न्यायालय के सामने प्रस्तुत नहीं होता तो तीनों आरोपितों को तकनीकी आधार पर जमानत मिल सकती थी।

कोर्ट में दिए गए कई सबूत

अतीक अहमद व अशरफ की हत्या किसने की, किस असलहे से किस तारीख को किस समय पर हत्या हुई, हत्या करने के पीछे आरोपितों की क्या मंशा थी। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एसआईटी ने अभियुक्तों के कब्जे से बरामद असलहा, उनकी जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं घटनास्थल का नक्शा नजरी बनाकर पेश किया है। सीन रीक्रिएशन की रिपोर्ट के साथ तमाम सबूत भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

दोनों ओर से कोई अधिवक्ता पेश नहीं हुआ

फिलहाल एसआईटी की ओर से अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत करने के दौरान अतीक-अशरफ की हत्या के तीनों आरोपितों की ओर से कोई भी अधिवक्ता उपस्थित नहीं रहा। अतीक अहमद और अशरफ की ओर से भी कोई अधिवक्ता न्यायालय कक्ष में मौजूद नहीं था।

Exit mobile version