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हाई कोर्ट से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को झटका, गैंगस्टर एक्ट में जमानत अर्जी खारिज

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प्रयागराज, 14 जनवरी। इलाहाबाद हाई कोर्ट से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को तगड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में जमानत पर उनकी रिहाई से इनकार करते हुए कहा कि उत्तर भारत में मुख्तार अंसारी की छवि रॉबिन हुड की है। 58 केस के बाद भी मुख्तार अंसारी गैंगस्टर नहीं तो कोई अपराधी गैंगस्टर नहीं हो सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने 2014 के एक मामले में मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी  है।

58 केस के बाद भी मुख्तार अंसारी यदि गैंगस्टर नहीं तो कोई अपराधी गैंगस्टर नहीं…

मुख्तार ने गैंगस्टर एक्ट की धारा तीन (एक) के तहत थाना तरवां, जिला आजमगढ़ में 2020 में दर्ज प्राथमिकी में जमानत की मांग की थी। याची के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने कोर्ट से जमानत अर्जी वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना। कोर्ट ने मुख्तार की जमानत अर्जी को गुण-दोष के आधार पर खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने मुख्तार की जमानत अर्जी पर पारित किया।

याची के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने कहा, उसे इस जमानत अर्जी को वापस लेने को कहा गया है। इसलिए वह अर्जी वापस लेना चाहता है। लेकिन कोर्ट ने इसे अनुचित माना और कहा, यह नहीं बताया गया कि याची भविष्य में दोबारा जमानत अर्जी दाखिल नहीं करेगा। लिहाजा, उसकी अर्जी वापस लेने की मांग को अस्वीकार किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि याची गैंग का लीडर है। इसके खिलाफ 58 आपराधिक केस दर्ज हैं और डीएम ने गैंग चार्ट अनुमोदित किया है। लोग इसकेकिसी केस में भय से गवाही देने नहीं जाते। इसी की वजह से उसे किसी केस में सजा नहीं मिली।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याची दुर्दांत और आदतन अपराधी है। उसके ऊपर हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती, अपहरण और रंगदारी मांगने के 58 मुकदमे दर्ज है। याची 1986 से अपराध की दुनिया में सक्रिय है, लेकिन आज तक उसे सजा नहीं हो सकी। 2014 में आजमगढ़ के तरवां में हुई अंधाधुंध फायरिंग भी गैंग का दहशत दिखाने के लिए की गई थी, जिसमें एक मजदूर की मौत हो गई थी।

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